अब नए लुक में नज़र आएगी उत्तराखंड की यह मशहूर ”पहाड़ी टोपी”

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नवंबर में पहाड़ों की रानी मसूरी के 18वें जन्मदिन पर ‘सोहम हैरिटेज और आर्ट सेंटर’ द्वारा बनाई गई पहाड़ी टोपी ने बहुत ही जल्दी लोगों के दिलों में अपनी जगह बना ली है, नवंबर से अब तक लगभग पांच सौ टोपियों को लोगों ने सराहा और खरीदा है।

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इसी कड़ी में ‘सोहम हैरिटेज और आर्ट सेंटर’ के समीर शुक्ला पहाड़ी टोपी की एक और रेंज लेकर आने वाले हैं।जी हां, अब पहाड़ी टोपी आपको उत्तराखंड के लोकल फसल के ही फैब्रिक से बनी हुई मिलेगी। उत्तराखंड के क्षेत्रीय फ़सल बिच्छु घास,पहाड़ी सिल्क और हैंप यानि की भांग के फैब्रिक से बनाई हुई टोपी जल्द ही आपके बीच होगी।अगर आप उत्तराखंड के हैं तो आपको बिच्छु बूटी का पता ही होगा कि यह उत्तराखंडियों के जीवन में एक महत्तवपूर्ण जगह रखती है।इन्हीं सभी फसलों के रेशें से बनाई जाएगी यह नई पहाड़ी टोपी जो अपने आप में बेहतरीन शुरुआत है उत्तराखंड की परंपरा को आगे बढ़ाने का।

इस विषय में टीम न्यूज़पोस्ट से बातचीत करते हुए समीर शुक्ला ने बताया कि, “हमारी बनाई हुई पहाड़ी टोपी की लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए हम पहाड़ी टोपी की एक और रेंज लेकर आ रहे हैं, हालांकि इस रेंज की खास बात है कि इसमें हम हिमालय के क्षेत्रों में होने वाली फसल के फैब्रिक का इस्तेमाल करेंगे। इस बार हम पहले से महंगे कपड़ों के इस्तेमाल से टोपी बना रहे हैं तो यह पहले वाली टोपी से थोड़ी महंगी जरुर होगी लेकिन इसकी गुणवत्ता भी बेहतर होगी। उन्होंने बताया कि, “यह फैब्रिक बहुत ही रिफाईंड और थोड़ी महंगी होगी जिसकी वजह से टोपी पहले से महंगी है, लेकिन पहाड़ी फसल होने की वजह से जो भी मुनाफा है वह पहाड़ के लोगों को ही होगा।” पलायन को रोकने के लिहाज़ से भी यह पहल सराहनीय है।समीर ने कहा कि, “हमारे पहाड़ में मैन्फेक्चरिंग की कमी नही हैं लेकिन यहां पर चीजों को मार्केट करने की कमी है जिसकी वजह से लोगों को उनके प्रोडक्ट का सही पैसा नहीं मिलता। हमारी इस पहल से ऊचाईं वाले क्षेत्रों में होने वाले इन फसलों के इस्तेमाल से लोगो को रोज़गार तो मिलेगा ही साथ में इन सभी फसलों को एक नई पहचान मिलेगी।”

आपको बतादें कि समीर शुक्ला और उनकी पत्नी कविता शुक्ला जोकि मसूरी में ‘सोहम हैरिटेज और आर्ट सेंटर’ चलाते हैं, पिछले कई सालों से इस दंपत्ति ने मिलकर उत्तराखंड की परंपरा और यहां की जीवनशैली को बढ़ावा दिया है। चाहे वह उत्तराखंड के पारंपरिक गहने हो, या फिर पहाड़ी वाद्य यंत्र, पहाड़ी कला हो या फिर शिल्प।

समीर शुक्ला की इस नई पहाड़ी टोपी का हर पहाड़ी को बेसब्री से इंतजार रहेगा और मार्च के आखिरी तक यह टोपी मार्केट में होगी।