पहाड़ी संगीत का उभरता सितारा:पंकज डोभाल

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ऐसा अक्सर नहीं होता कि हम किसी 24 साल के लड़के से मिलें जो अपना एमबीए कोर्स के साथ साथ, दिल्ली में किसी एडवरटाईजिंग कंपनी में मीडिया एक्जिक्यूटिव की तरह काम कर रहा हो अौर इसके अलावा यह गढ़वाली और हिंदी दोनों ही में गाता हों ।

उत्तराखंड में युवा प्रतिभाओं की कमी नहीं हैं और ऐसे ही एक प्रतिभाशाली गायक हैं पंकज डोभाल। हालांकि हमारे राज्य में बहुत से गायक हैं लेकिन यह थोड़ा अलग हैं, रिमिक्स के इस ज़माने में भी पंकज अपनी मातृभाषा गढ़वाली में गाने कंपोज करते हैं।दिल्ली में रहने वाले पंकज पौड़ी जिले के घिरी गांव के रहने वाले हैं, खास बात यह हैं कि वह अपने गाने गढ़वाली में ही बनाते और गाते भी हैं।

pankaj dobhalपिता चित्रानंद और मां सुषमा डोभाल के मंजले बेटे हैं । न्यूज़पोस्ट से बातचीत में पंकज ने बताया कि, “संगीत मेरे लिए ऐसा हैं जिसके साथ मैं बड़ा हुआ हूं, घर में मां गुनगुनाती रहती थी और घर में हमेशा गढ़वाली में बात करते थे इसलिए स्वाभाविक रुप से मेरे अंदर था कि गढ़वाली भाषा में कुछ करना है।”

पंकज की मां सुषमा का संगीत प्रेम उनके दूसरे बेटे पंकज को मिला। साल 2015 में पंकज ने अपने जूनुन को एक नए मुकाम पर पहुंचाया और अपना पहला हिंदी गाना लाँच किया। उनका दूसरा गाना ‘रोणु ना रहतू’ 2017 के शुरुआत में रिलीज हुआ, 3 मिनट के गाने को बनाने में इन्हें 3 महीने से भी कम समय लगा, आपको बता दें कि इस गाने में संगीतकार, वोकलिस्ट और कंपोजर खुद पंकज ही हैं।

“मैं एक गढ़वाली हूं और मैं अपने म्यूजिक के माध्यम से इस इंडस्ट्री में गढ़वाल के नाम पर कुछ करना चाहता हूं, मेरा परिवार मेरे लिए क्रिटिक्स का काम तो करने के साथ ही मेरे सबसे बड़े फैन्स भी हैं।”

आजकल पंकज अपने नए प्रोजेक्ट, उत्तराखंड पलायन पर आधारित एक डाक्यूमेंट्री का बैकग्राउंड म्यूजिक तैयार करने में व्यस्त हैं।अभी अभी उनकी टीम गंतव्य जोकि चार दोस्त चंचल उपाध्याय, रोनी ठाकुर,अजय सरस्वती अौर पंकज ने साथ मिलकर 5 मिनट का मैशअपनया गाना ‘अर्जिया’ रिलीज किया हैं।