पूर्व सरकार का शासनादेश त्रिवेंद्र सरकार के लिए बना सिरदर्द

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हरिद्वार। हरीश रावत सरकार द्वारा पूर्व में जारी किया गया एक शासनादेश अब मौजूदा सरकार के लिए सिरदर्द बन गया है। मुख्यमंत्री रहते हुए हरीश रावत ने हरिद्वार में सालों से बह रही गंगा को स्कैप चैनल घोषित कर दिया था, जिसके बाद हरिद्वार में जिस जगह अभी कुम्भ लगता है वह अब गंगा नहीं, बल्कि एक कैनाल बनकर रह गई है।
उस वक्त की सरकार ने अपने शासनादेश में हरिद्वार को लेकर जो फैसला लिया था, उसके तहत हरिद्वार में सर्वानंद घाट भूपतवाला से लेकर श्मशान घाट, खड़खड़ी और हरकी पौड़ी से डामकोठी मायापुर होते हुए जो गंगा सती घाट कनखल में जा रही है वह अब गंगा नहीं बल्कि कैनाल हो गयी है। हालांकि, उस वक्त उस शासनादेश का विरोध हुआ था लेकिन अब फिर से इसका विरोध शुरू हो गया है। हरिद्वार में गंगा प्रेमी हों या गंगा सभा के लोग स्थानीय नागरिक से लेकर तीर्थ पुरोहितों ने मौजूदा सरकार का ये कहकर विरोध शुरू कर दिया है कि अब तक क्यों इस शासनादेश को वापस नहीं लिया गया है। हरिद्वार में जिस तरह से ये शासनादेश जारी हुआ था उसके बाद ये सवाल खड़ा हो गया कि सरकार को अपने करीबियों को फायदा दिलाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। भले ही जनभावनाएं आहत क्यों ना हों। दरसल सरकार का शासनादेश जारी करने का मकसद सिर्फ इतना था की गंगा के नजदीक 200 मीटर के दायरे में किसी भी तरह का निर्माण नहीं हो सकता था। लिहाजा सरकार ने हरकी पैड़ी का पूरा इतिहास ही बदल डाला। हालांकि सरकार ने ये तर्क दिया था की इस क्षेत्र में जल प्रवाह नियंत्रित होने के कारण बाढ़ से प्रभावित होने की संभावना नहीं है। इसके साथ ही शासन ने भी गंगा के किनारे निर्माण एवं प्रतिबंध से संबंधित पूर्व के समस्त शासनादेशों को समाप्त कर दिए था।
राज्य में बीजेपी की सरकार बनते ही सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा था कि पूर्व की सरकार का शासनादेश बदला जाएगा। सीएम ने कहा था की पूर्व की सरकार गंगा प्रेमी नहीं थी, लिहाजा इसलिए इस तरह के आदेश जारी किए थे। उन्होंने कहा था कि जल्द ही इस शासनादेश को वापस लिया जाएगा। लेकिन सरकार के डेढ़ साल बीतने के बाद भी सरकार का ध्यान इस ओर नहीं हैं। बीजेपी प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा कि ये आदेश हमारी सरकार का नहीं है, पूर्व की सरकार का है। उन्होंने कहा कि विरोध करने वाले लोग तब कहां थे, जब ये शासनादेश जारी किया गया था। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार इसके लिए जिम्मेदार है और कांग्रेसी ही अब इसका विरोध कर रहे हैं।