हरिद्वार। उत्तराखंड से पलायन को रोकने, उत्तराखंडवासियों के जीवन को बेहतर बनाने एवं प्रांत के कृषक समाज को उनकी सीमाओं में कृषि उत्पाद तैयार करा उसे आर्थिक समृद्धि दिलाने के संकल्प के साथ पतंजलि योगपीठ अपने विविध केंद्रों पर विशेष कृषि मॉडल विकसित कर रहा है। इन कृषि माडलों का उत्तराखंड की हस्तियों से लेकर देश-विदेश विशिष्ट कृषि वैज्ञानिकों का दल अवलोकन करने पहुंच रहा है।
इसी क्रम में जैविक कृषि एवं वातावरण परिशोधन पर कार्य कर रहीं डाॅ. वदना शिवा अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, जापान, इंडोनेशिया, कोरिया के विशिष्ठ वैज्ञानिकों के दल के साथ पतंजलि के बड़ी पोखरी के विशेष कृषि मॉडल केंद्र पहुची। उन्होंने वहां तैयार किए गए नींबू, मिर्च, आडू, खूबानी, पल्म, सफेद चन्दन के सैकड़ों पेड़ों का अवलोकन किया और पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण से मुलाकात कर जैविक कृषि एवं उत्तराखण्ड के पलायन से जुड़ी समस्याओं पर अनेक जिज्ञासाओं का समाधन प्राप्त किया। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के पलायन को रोकने के लिए पतंजलि बड़ी पोखरी में तैयार हो रहे इस कृषि मॉडल से किसानों में अपनी कृषि के प्रति विश्वास जगाने का अभियान चलाएगा। उन्होंने बताया कि यहां तीन किमी. नीचे से बड़ीपोखरी तक पानी पहुंचाना पतंजलि का विशिष्ट प्रयोग कहा जा सकता है।
आचार्य ने कहा यह उत्तराखण्ड का सबसे बड़ा ड्रिप ऐरिगेशन कहा जा सकता है। इस विधि से इस परिसर में तैयार सैकड़ों की संख्या में नींबू, मिर्च, आडू, खूबानी, पल्म, सफेद चन्दन आदि के सैकड़ों पेड़ किसानों को समृद्धि की प्रेरणा दे रहे हैं। कहा उत्तराखण्ड का प्रत्येक किसान अपनी भूमि पर विशेष कृषि विधि से खेती करे और अपने को समृद्धशाली बनाये, युवाओं का रोजगार मिले और उत्तराखण्ड से युवाओं का पलायन रुके यही पतंजलि का संकल्प है।