निजी डॉक्टरों की हड़ताल से सरकारी अस्पताल में बढ़े मरीज

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हरिद्वार। उत्तराखंड के निजी चिकित्सक अपने आत्मसम्मान को बचाए रखने के लिए एक सप्ताह से संघर्ष कर रहे हैं। निजी चिकित्सक एक सप्ताह से हड़ताल पर हैं। निजी चिकित्सालयों में इलाज करा रहे मरीज पूरी तरह से हकलान है। जबकि सरकार की ओर से अभी तक इन चिकित्सकों की कोई सुध नहीं ली गई है। उत्तराखंड सरकार के कद्दावर मंत्री मदन कौशिक ने निजी चिकित्सकों की समस्या का हल निकालने में नाकाम रहे हैं। जबकि विपक्षी पार्टी कांग्रेस निजी चिकित्सकों के समर्थन में सरकार पर दबाव बना रही है। ऐसे में निजी चिकित्सकों और सरकार के बीच की लड़ाई लंबे एक मुश्किल दौर में जा पहुंची है।
उत्तराखंड में चिकित्सक कर एक आम आदमी के इलाज को अपना सेवा धर्म मानते है। निजी चिकित्सालयों ने अपने अस्पताल छोटे से स्थान पर बनाये हुए थे। लेकिन इन निजी चिकित्सकों के इस आत्मसम्मान को उस वक्त करारा झटका लगा जब केंद्र सरकार ने क्लीनिकल इस्टैब्लिसमेंट एक्ट के दायरे में निजी चिकित्सालयों को लपेट लिया। इस एक्ट के मानक पूरे कर पाना निजी चिकित्सालयों के बस की बात नहीं है। जिसके बाद निजी अस्पतालों के चिकित्सकों ने इस एक्ट का विरोध करना शुरू कर दिया। लेकिन हद तो तब हो गई जब सरकार ने नियमों में कोई ढील नहीं दी। बात आगे बढ़ी तो निजी चिकित्सक हड़ताल पर चले गए। सात दिनों से उत्तराखंड के निजी चिकित्सक हड़ताल पर है। सरकार की ओर से इन चिकित्सकों की कोई सुध नहीं ली गई।
निजी चिकित्सकों के सामने दुविधा की स्थिति आ गई। या तो वो अस्पताल बंद करके बड़े अस्पतालों की नौकरी करें या सरकारी नौकरी में चले जाए। फिलहाल निजी चिकित्सक उलझन में है। सरकार निजी चिकित्सकों को रास्ता देने को तैयार नही है। ऐसे में निजी चिकित्सकों के सामने धर्म संकट आ गया है। फिलहाल निजी चिकित्सकों की लड़ाई में कांग्रेस अपना हित देखते हुए उनकी पैरवी कर रही है। ऐसे मे अगर सरकार ने जल्दी कोई कदम नही उठाया तो निजी चिकित्सकों का एक बड़ा वोट बैंक भाजपा से किनारा कर लेगा। हालांकि फिलहाल चिकित्सकों को अपना आत्मसम्मान बचाये रखना मुश्किल हो रहा है।

एक्ट के विरोध में सड़कों पर उतरे निजी चिकित्सक, नारेबाजी की

क्लीनिक एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में हरिद्वार की आईएमए, आईडी और आयुष चिकित्सकों ने शुक्रवार को संयुक्त रूप से सड़कों पर उतरकर उत्तराखंड सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ नारेबाजी की और एक्ट के नियमों में परिवर्तन करने की मांग की।
सभी चिकित्सकों ने एक स्वर में आवाज उठाई की सरकार जो मानक अपने सरकारी अस्पतालों में पूरे नहीं करती है उन मानकों को जबरन निजी चिकित्सकों पर थोप रही है। उन्होंने कहा कि अपनी मांगे पूरी नही होने तक हरिद्वार जनपद के सभी निजी चिकित्सक और एसोसियेशन अपने प्रतिष्ठान को बंद रखेंगे और सरकार के इस एक्ट का विरोध करेंगे।
करीब एक सप्ताह से हड़ताल कर रहे हरिद्वार के निजी चिकित्सकों की एसोसियेशन शुक्रवार को सड़कों पर उतर आई। सभी चिकित्सक सुबह 11 बजे चंद्राचार्य चौक पर एकत्रित होकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। इसके बाद एक जुलूस के रूप में चिकित्सकों के संगठनों ने सिटी मजिस्टेªट कार्यालय तक रैली निकाली और इस दौरान नारेबाजी की।
जुलूस निकालने के दौरान सभी चिकित्सकों ने एक स्वर में क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में परिवर्तन करने और मानकों में ढिलाई देने की मांग की। इसके बाद प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए चिकित्सकों ने अपनी समस्या बताई। आईएमए के अध्यक्ष डॉ जसप्रीत सिंह ने बताया कि सरकार निजी अस्पतालों का उत्पीड़न कर रही है। निजी चिकित्सकों पर ऐसा कानून थोप रही, जिसके बाद अस्पताल को चलाये रखना असंभव हो जायेगा। डॉ विपिन मेहरा ने बताया कि हम सरकार के बनाये एक्ट का विरोध नही कर रहे है। बल्कि एक्ट में परिवर्तन की मांग कर रहे है और हरियाणा की तर्ज पर ही उत्तराखंड में एक्ट बनाने की मांग कर रहे है। डॉ. सुशील शर्मा ने बताया कि उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों में इस एक्ट के अनुरूप अस्पतालों को चलाना मुश्किल हो जायेगा। जिसके कारण मरीजों को मंहगा इलाज मिलेगा।