(देहरादून) मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत मरीजों को अब नई मुसीबत से जूझना पड़ रहा है। उनके पास कार्ड है, पर इलाज फिर भी नहीं मिल पा रहा। अस्पताल पहुंचने पर पता चलता है कि कार्ड मान्य नहीं है। ऐसे में उन्हें बिना इलाज वापस लौटना पड़ रहा है।
एमएसबीवाई से जुड़ी बीमा कंपनी ने राज्य स्थापना दिवस पर योजना से हाथ खींच लिए थे। जिसके बाद से इस योजना के तहत मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा था। स्थिति बिगड़ती देख सरकार ने मरीजों का खर्च स्वयं वहन करने का फैसला लिया। इस काम के लिए मुख्य चिकित्साधिकारियों को माध्यम बनाया गया है। एमएसबीवाई कार्ड धारकों को सीएमओ से अप्रूवल मिलने के बाद इलाज दिया जाता है। इलाज में आने वाले खर्च का बिल बनाकर सीएमओ ऑफिस भेजा जाता है। फिर सीएमओ कार्यालय की तरफ से भुगतान जारी किया जाता है। लेकिन इस बीच कई मरीज ऐसे भी हैं, जो अभी भी इलाज से महरूम हैं। अस्पतालों से ऐसे मरीज लगातार बिना इलाज लौट रहे हैं। बताया गया कि विभागीय वेबसाइट पर कार्ड सत्यापित करने पर ‘अमान्य’ का मैसेज आ रहा है। बता दें कि त्रुटियों के चलते बीमा कंपनी ने गत वर्ष करीब तीन लाख कार्ड ब्लॉक कर दिए थे। तब यह कहा गया कि कार्ड अपात्र लोगों के ब्लॉक किए गए हैं। जबकि इनमें कई बीपीएल व अन्य पात्र लोग भी शामिल थे। ऐसे में सैकड़ों लोग पात्र होकर भी ब्लॉक कार्ड लिए घूम रहे हैं। इसका पता उन्हें तब चलता है जब वह अस्पताल इलाज के लिए पहुंचते हैं। अधिकारियों का कहना है कि बिना कार्ड का सत्यापन हुए इलाज दे पाना संभव नहीं है।
क्या है एमएसबीवाई
अप्रैल 2015 में शुरू हुई मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत लाभार्थियों को बायोमेट्रिक स्मार्ट कार्ड जारी किए गए थे। जिसके तहत कार्डधारक परिवार को 50 हजार रुपये का हेल्थ कवर और सवा लाख रुपये गंभीर बीमारियों का बीमा कवर मिलता है। इस कार्ड का इस्तेमाल एमएसबीवाई के पैनल में शामिल किसी भी अस्पताल में इलाज के लिए किया जा सकता है। योजना में सरकारी कर्मचारी, पेंशनर और आयकर दाता शामिल नहीं हैं।