गोपेश्वर, चमोली जिले में उद्यान विभाग ने पिकन नट के उद्यानीकरण की योजना तैयार की गई है। इसके लिए उद्यान विभाग ने हाॅल्टीक्ल्चर मिशन फाॅर नार्थ ईस्ट एंड हिमालय स्टेट योजना के तहत जिला मुख्यालय के निकट कोठियालसैण में नर्सरी तैयार कर रहा है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार यदि सब कुछ योजना के अनुसार चला तो आगामी पांच वर्षों में चमोली पीकन नट उत्पादन करने वाला राज्य का पहला जिला बन जाएगा। जिससे काश्तकारों को बेहतर आमदनी मिल सकेगी।
हाॅल्टीक्ल्चर मिशन फाॅर नार्थ ईस्ट एंड हिमालय स्टेट योजना के तहत उद्यान विभाग ने 15 लाख की लागत से कोठियालसैंण में पिकन नट की नर्सरी तैयार की जा रही है। पिकन नट एक सूखा मेवा (ड्राई फ्रूट) है। जिसका सर्वाधिक उपयोग चाॅकलेट बनाने में किया जाता है। इसकी पैदावार से काश्तकारों को इसका बेहतर दाम मिल सकता है। पिकन नट का वर्तमान में बाजार भाव करीब तीन हजार रुपये प्रति किलोग्राम है। उद्यान विभाग ने कोठियालसैंण नर्सरी में पिकन नट के मदर प्लाॅट से पौध तैयार करने का कार्य किया जा रहा है। वहीं, नर्सरी में सीड लैस गुवावा (बीज रहित अमरुद) तथा माल्टा प्रजाति के श्रीनगर मैंडरीन फलों की भी नर्सरी तैयार की जा रही है। पिकन नट के उत्पादन को लेकर विभागीय अधिकारी और कर्मचारी खासे उत्साहित हैं।
क्या है पिकन नट
पिकन नट गिरीदार फल है। यह महान और नैलिस प्रजाति का पौधा है। पिकन नट के उत्पादन के लिए समुद्र तल से 12 सौ मीटर से दो हजार मीटर तक की जलवायु उपयुक्त मानी जाती है। इसका उपयोग सूखे मेवे (ड्राई फ्रूट) के साथ ही चाकलेट बनाने में किया जाता है।
क्या कहते है अधिकारी
पिकन नट की बाजार में अच्छी मांग है। साथ ही चमोली जिले की आबो हवा इसके उत्पादन के उपयुक्त है। जिसे देखते हुए कोठियाल सैंण में नर्सरी तैयार की गई है। इसके साथ ही जिले में पिकन नट उत्पादन से काश्तकारों को जोड़ने के लिए कल्सटर तैयार किए जा रहे हैं। सब कुछ योजना के अनुसार चला तो आगामी पांच वर्षों में जिले में पीकन नट का उत्पादन शुरू हो जाएगा।