रुद्रपुर से काठगोदाम तक एनएच 87 के चौड़ीकरण काम होना है। इसको लेकर सड़क किनारे पेड़ों का कटान किया जा रहा है। रुद्रपुर से लेेकर पंतनगर तक अधिग्रहण की जद में आ रही सरकारी जमीनों को एनएचएआई को दिया जा चुका है। केवल फाजलपुर महरौला में तीन लोगों की निजी भूमि में मुआवजा नहीं बंटने की वजह से यह जमीन अभी एनएचएआई को नहीं दी जा सकी है। एसएलओ कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार एनएच निर्माण में 24 गांवों के लोगों की जमीनें आ रही हैं। इसके लिए 97 करोड़ रुपयों का मुआवजा बंटना है। लेकिन अभी तक एसएसओ कार्यालय में महज 27 करोड़ मुआवजा ही पहुंचा है।
ऐसे में यह मुआवजा सात गांवों तक भी पूरा नहीं हो पा रहा है। मुआवजे की रकम इसलिए भी नहीं बांटी जा रही है क्योंकि एक गांव में अगर मुआवजा मिला तो बाकी गांव के लोग शोरशराबा करेंगे। मुआवजे की बाकी रकम कब आएगी, इसकी जानकारी नहीं है। एनएचएआई के पीडी कर्नल संदीप कार्की का कहना है कि सरकारी जमीन विभाग को ट्रांसफर हो चुकी है। अभी तक साढ़े छह हजार पेड़ों का कटान हो चुका है और बाकी का कटान किया जा रहा है। सड़क किनारे जहां सरकारी दीवार या अन्य छोटे निर्माण होने हैं, उनको लेकर लोनिवि को कहा गया है। निर्माण करने वाली कंपनी से बीते 28 अक्तूबर को अनुबंध हो चुका है। बताया कि पहले कंपनी रुद्रपुर से काठगोदाम तक हाइवे के गड्ढे भरवाएगी। इसके बाद बैरियर लगाकर वन वे यातायात कर एनएच में निर्माण शुरू करेगी। दावा किया कि इसी महीने हाइवे का काम शुरू हो जाएगा।
वहीं दुसरी ओर एनएच 74 के निर्माण का अधिकांश काम पूरा हो चुका है। लेकिन अभी तक अधिगृहित जमीनों के मालिकों को मुआवजा नहीं मिल सका है। आलम यह है कि 54 गांवों के लोगों की जमीनें अधिगृहित की गई थी। लेकिन अभी तक 17 गांवों के लोगों तक ही मुआवजे का भुगतान हुआ है। अभी करीब 230 करोड़ रुपयों का मुआवजा बांटा जा चुका है। अभी विभाग के पास बांटने के लिए 64 करोड़ रुपयों से अधिक हैं। विभाग को पूरा मुआवजा बांटने के लिए अभी 300 करोड़ रुपयों की जरूरत है। बताया जा रहा है कि एनएच का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन मुआवजे के लिए काश्तकार चक्कर लगा रहे हैं। हालांकि विभाग की ओर से भी मुआवजे बांटने का क्रम चल रहा है। एसएलओ के अवकाश में होने की वजह से संपर्क नहीं हो सका है।