हिमालयी क्षेत्र के दारमा घाटी से निकाला 806 कट्टे पॉलीथिन और प्लास्टिक का कचरा

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पिथौरागढ़। उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्वच्छता अभियान चला कर क्षेत्र में बिखरे कूड़े को जमा कर उसका निस्तारण किया। अभियान में वहां के 17 गांवों के लोग शामिल हुए। सीमांत जिले में दारमा घाटी के उच्च हिमालयी क्षेत्र के 17 गांवों के सहयोग से गूंज संस्था ने 806 कट्टे पॉलीथिन और प्लास्टिक कचरा एकत्र किया। यह कचरा पंचाचूली बेस कैंप लाया गया। गूंज संस्था के सदस्यों ने क्लीन द हिमालया अभियान के तहत 6300 फुट से 13600 फुट तक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अजैविक कचरा इकठ्ठा किया।

उच्च हिमालयी क्षेत्र को अजैविक कचरे से मुक्त करने के लिए संस्था के सदस्यों ने जून से ही गांवों में संपर्क शुरू कर दिया था। मुनस्यारी, धारचूला के उच्च हिमालयी क्षेत्रों से लगे गांवों एवं बुग्यालों में भारी मात्रा में वर्षों से अजैविक कचरा बिखरा हुआ था। इस कचरे को जलाने से क्षेत्र का तापमान बढ़ रहा था। पहले चरण में तीजम, दर, बोग्लिंग, चल, सेला, नागलिंग, बालिंग, सौन, दुग्तु, दांतू, ढाकर, तीदांग, मार्छा, सीपू, गो, फिलम, बौन में ग्रामीणों ने खेतों में एकत्र किए गए अजैविक कचरे को उठाया।

गूंज संस्था के शैलेश खर्कवाल ने कहा कि ग्रामीणों ने अपने क्षेत्र की सफाई का बीड़ा उठाया। इन 17 गांवों में बैठक कर हिमालय रक्षक दल का गठन किया गया। सोच संस्था के अध्यक्ष जगत मर्तोलिया ने कहा कि उच्च हिमालयी क्षेत्र को अगर बचाना है तो यहां कि जनता को साथ लेकर ही बचाया जा सकता है। बताया कि केएमवीएन के निदेशक धीराज सिंह गर्ब्याल के प्रयासों से दारमा घाटी के निगम संचालित होम स्टे से जुड़े समुदाय ने इस अभियान को धरातल में उतारने के लिए काफी मेहनत की। संस्था के चरण बोथियाल, माही सीपाल, खुशबू वर्मा, कुंदन सिंह भंडारी, नीरज ह्यांकि, बबलू ग्वाल, आमोद नग्नयाल, रूप सिंह सैलाल, गणेश दुग्ताल, नेत्र सिंह नेगी ने विशेष सहयोग दिया।  इस मौके पर संस्था के लोगों ने ग्रामीणों से संपर्क कर उन्हें जागरूक किया।