सफरनामा: चोपता की वादियों में दिखता है प्रकृति और ईश्वर का अद्भुत संसार

Pic Courtesy:Gaurav Saili

(गोपेश्वर) अगर आप उत्तराखंड की चारधाम यात्रा पर निकले हैं और प्रकृति और धार्मिक स्थल दोनों का दर्शन एक साथ करना चाहते हैं तो केदारनाथ से लौटते समय चोपता-तुंगनाथ-गोपेश्वर होते हुए बद्रीनाथ जा सकते हैं। चोपता ऐसी अनछुई और अनजान हिल स्टेशन है जिसकी प्राकृतिक खूबसूरती और हरियाली आपको अंदर तक आनंदित कर देगी।

इस मोटर मार्ग पर आपको जैविक विधिता के विविध स्वरुप तो दिखेंगे ही। साथ ही खर्सू, मौरू, बांज, बुरांश समेत कई प्रजातियों के कहीं पर घनघोर जंगल तो कहीं पर प्रकृति के वे अद्भुत नजारे दिख जाएंगे जो आपका मन मोह लेंगे।

बद्रीनाथ की यात्रा करने के बाद केदारनाथ के दर्शन करने जा रहे तो वापसी में गोपेश्वर-मंडल-चोपता मोटर मार्ग से होते हुए केदारनाथ जा सकते हैं।कुंड नामक स्थान से ऊखीमठ होते हुए और उत्तराखंड के मिनी स्वीजरलैंड कहे जाने वाले चोपता से होते हुए मंडल के बीच का जंगल बेहद खूबसूरत है। लगभग 35 किमी की इस यात्रा में कहीं बुरांश के जंगल है तो कहीं खर्सू, मौरू के आसमान छूते पेड दिख जाएंगे। भौस के जंगल में तो आर्कटिस भी दिख जायेंगे। ये यात्रा बेहद मन मोहक यात्रा है। चाहे आप कार या वाहन से यात्रा कर रहे हो अथवा पैदल तनिक भी थकाव नहीं है इस मार्ग से गुजरना।

 

ऊखीमठ, तुंगनाथ, अनसूया, रुद्रनाथ जैसे पवित्र स्थलों का  दर्शन:

चारधाम यात्रा पर निकले हैं तो यदि इस मार्ग से यात्रा कर रहे हो तो ऊखीमठ में भगवान ओंकारेश्वर का दर्शन कर सकते हैं। यहां पर वह स्थान भी है जहां पर वाणासूर की पुत्री ऊषा और कृष्ण के पोते अनिरुध का विवाह हुआ था। मार्ग में तृतीय केदार-तुंगनाथ है। कुछ आगे चलकर सती मां अनसूया के दर्शन कर सकते हैं और गंगोल गांव गोपेश्वर के नजदीक पहुंचे तो चतुर्थ केदार-रुद्रनाथ के दर्शन कर सकते हैं। गोपेश्वर पहुंचने पर गोपीनाथ के दर्शन का सौभाग्य मिलेगा।

कभी कस्तुरी मृग भी थे इस मार्ग पर
चोपता-मंडल-गोपेश्वर मार्ग पर कस्तूरी मृगों के संरक्षण और उनके प्रजनन का एक केंद्र काचुंला खर्क में था जो अब नहीं है। पर इस जंगल में आपको सांय के धुधलके में काकड़, घ्वीड, थार, हिमालयी काला भालू भी दिख सकता है। यही नहीं चोपता के बुग्याल के कुछ नीचे और उसके आस-पास सात प्रकार के बुरांश के फूलों से लदे पेड़ भी दिखेंगे।