उत्तराखंड से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने वाले तीर्थयात्रियों का पहला जत्था बुधवार को काठगोदाम पहुंचा। तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे के 59 सदस्यों को यहां पहुंचने पर कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) द्वारा पारंपरिक कुमाऊँनी स्वागत किया गया।
श्रद्धालुओं के पहले जत्थे के 59 सदस्यों में 50 पुरुष और नौ महिलाएं शामिल हैं, समूह के पांच सदस्य उत्तराखंड से हैं। पहले बैच में, दिल्ली के 68 वर्षीय मुरलीधर सबसे पुराने सदस्य हैं जबकि गुजरात के गांधीनगर से 21 वर्षीय अजयसिंह बिहोला सबसे कम उम्र के तीर्थयात्री हैं।
कैलाश मानसरोवर यात्रियों के पहले जत्थे के रूप में काठगोदाम रोडवेज स्टेशन पहुंचे, उनका कुमाऊं के पारंपरिक छोलिया नृत्य के साथ स्वागत किया गया। भगवान शिव का नारा लगाते हुए, जैसे ही तीर्थयात्री केएमवीएन पहुंचे, उनका पारंपरिक कुमाउनी शैली में स्वागत किया गया।
उत्तराखंड पहुंचते ही तीर्थयात्रियों का उत्साह देखा जा सकता था क्योंकि उन्होंने पहुंतचे ही, ‘बम बम भोले- हर हर महादेव’ कहना शुरू कर दिया। यहां पहुंचने के बाद उन्हें बुरांश (रोडोडेंडरन) का रस और पारंपरिक पहाड़ी व्यंजन परोसा गया। केएमवीएन गेस्ट हाउस पहुंचने पर, उनका नैनीताल-उधम सिंह नगर के सांसद और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट, केएमवीएन की उपाध्यक्ष रेनू अधिकर और निगम के प्रबंध निदेशक विनोद कुमार सुमन ने भी स्वागत किया।
केएमवीएन के महाप्रबंधक अशोक कुमार जोशी ने बताया कि, “इस बार, नाभिधंग में तीर्थयात्रियों के लिए होमस्टे सुविधा की व्यवस्था की गई है। स्थानीय लोगों के बीच स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई इस पहल से इस पर्वतीय राज्य की संस्कृति के बारे में जानने के लिए कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने वाले तीर्थयात्रियों को भी मौका मिलेगा।” केएमवीएन जीएम ने आगे बताया कि, “जैसा कि विदेश मंत्रालय द्वारा तय किया गया है, तीर्थयात्रियों के प्रत्येक बैच के साथ दो सार्वजनिक लायसन अधिकारी शामिल होंगे।”
तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे में, दिल्ली के विजय कुमार मन्त्री और ग्रेटर नोएडा के अखिलेश सिंह रावत तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे में पब्लिक लायसन अधिकारी हैं। श्रद्धालुओं के पहले जत्थे में गुजरात के 15 सदस्य, दिल्ली के 10, उत्तर प्रदेश के सात, उत्तराखंड के पांच, हरियाणा के तीन, मध्य प्रदेश के दो, राजस्थान के आठ, महाराष्ट्र, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के एक-एक सदस्य शामिल हैं। चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक से एक-एक। शाम करीब 5 बजे काठगोदाम पहुंचने के बाद, पहले जत्थे के सदस्य देर शाम अल्मोड़ा के लिए रवाना हुए। वहां रात बिताने के बाद, समूह गुरुवार को धारचूला पहुंचेगा।