इस बार मैदान में अधिक गर्मी बढ़ने के कारण पहाड़ की खूबसूरत वादियों को दीदार करने वाले ट्रैकिंग दलों के अधिक आने के आसार हैं।अप्रैल माह से ट्रैकिंग दलों के आने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। सीमांत जिले में विगत कुछ वर्षों से ट्रैकिंग का शौक बढ़ा है। देश के विभिन्न राज्यों के ट्रैकर दल यहां आ रहे हैं। इस दौरान पंचाचूली ट्रैकिंग रूट खूब पसंद किया जा रहा है। धारचूला तहसील में सेला, उर्थिग होते हुए पंचाचूली ग्लेशियर तक जाने वाले रूट में अब काफी दूर तक सड़क भी बन चुकी है। ट्रैकरों को अब पैदल दूरी भी कम नापनी पड़ेगी। वहीं मिलम ट्रैक ट्रैकरों का सबसे पसंदीदा स्थल है। यहां पर सीजन में कई ट्रेकर दल आते हैं। जो मिलम और नंदा देवी बेस कैंप तक जाते हैं। इसके अलावा खलिया टाप , बिटलीधार, थामरीकुंड , बलाती आदि ट्रेक भी ट्रैकरों के पसंद आ रहे हैं।
ट्रैकिंग दलों के अभियान से जुड़े लोगों का मानना है कि इस बार बीते वर्षो की अपेक्षा बर्फबारी कम होने से ट्रैकिंग रूट भी कम क्षतिग्रस्त होंगे। जिससे समय से पहले भी ट्रेकिंग संभव हो सकेगी। ट्रैकिंग एजेंसियों का कहना है कि मार्च माह के अंत तक मैदानों में पारा काफी अधिक बढ़ने के कारण ट्रैकर पहाड़ों की तरफ आने प्रारंभ हो जाते हैं। जहां बंगाली पर्यटकों का सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल मुनस्यारी है वहीं गुजराती ट्रैकरों को सबसे अधिक पंचाचूली ग्लेशियर ट्रैक सुहाता है। बीते वर्षों के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो प्रतिवर्ष पंचाचूली ग्लेशियर ट्रेक पर जाने वाले ट्रैकरों में गुजरात और दिल्ली के ट्रेकरों की संख्या बढ़ती जा रही है। जिले में मुनस्यारी-मिलम ट्रेक,नंदादेवी बेस कैंप ट्रेक,पंचाचूली ग्लेशियर ट्रेक,मुनस्यारी खलिया , बिटलीधार ट्रेक,मुनस्यारी -रालम ट्रेक,बिर्थी -नामिक ट्रेक,धारचूला – छिपलाकेदार ट्रेक,धारचूला-आदि कैलास ट्रेक जिले में मुख्य ट्रैकिंग रूटों में शामिल है।