देवस्थली विद्यापीठ, रुद्रपुर के कार्यकारी प्रबंध निदेशक कैम्पटन डीके सिंह ने शुक्रवार को महराया रोड स्थित अंडा विक्रेता से चार अंडे खरीदे। घर जाकर उन्होंने दो अंडे फ्राईपैन में डाले तो प्लास्टिक की झिल्ली जैसी परत जम गई। शक होने पर उन्होंने आमलेट नहीं खाया। सोमवार को कालेज ले जाकर उन्होंने अपने सहयोगियों को दिखाया। बाद में कॉलेज की लैब में इन अंडों की जांच की गई, जिसमें अंडों में प्लास्टिक होने की पुष्टि हो गई।
मामले की गंभीरता को देखते हुए कैम्पटन सिंह ने इसकी सूचना जिलाधिकारी को दी। डीएम ने एसडीएम पंकज उपाध्याय, आईएएस प्रशिक्षु नेहा मीणा, तहसीलदार रुद्रपुर डा. अमृता शर्मा और खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम को मौके पर जांच के लिए भेजा। टीम ने अंडा विक्रेता को भी देवस्थली विद्यापीठ बुला लिया। वहां विद्यापीठ के विशेषज्ञों की देख-रेख में लैब में दोबारा जांच कराई गई। प्रथमदृष्टया शक होने पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी नंदकिशोर ने जांच के लिए आठ अडे सील कर लैब में भेज दिये। बताया कि अंडा विक्रेता के पास कैरेट में केवल 8 अंडे ही बचे थे, जिन्हें सील कर लिया गया है। एसडीएम पंकज उपाध्याय ने बताया कि आजकल कई प्रकार के खाद्य पदार्थो के मिलावटी होने की सूचनाएं मिल रही हैं। लैब में जांच के बाद ही इनकी वास्तविकता पता चल पाएगी। विशेषज्ञों के अनुसार, नकली अंडा खाने संक्रमण और पाचन संबंधी बीमारियां हो सकती हैं।
एसडीएम पंकज उपाध्याय ने खाद्य सुरक्षा अधिकारी नंद किशोर को एक सप्ताह के अंदर इसकी रिपोर्ट देने को कहा है। उन्होंने कहा कि मामला लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा है, इसलिए सच्चाई जल्द से जल्द लोगों के सामने आनी चाहिए, ताकि प्लास्टिक के अंडे होने पर लोग जागरूक हो सकें। मिलावटी अंडों को देवस्थली विद्यापीठ के जांच विशेषज्ञ डॉ. राजेश कुमार और डॉ. अभिषेक तिवारी ने लैब में तीन तरह से जांच की। पहले अंडे की झिल्ली को हल्की आग में जलाया गया, जिससे वह सिकुड़ गयी और उसमें से दुर्गन्ध आने लगी, इसके बाद अण्डे का ऑसमोसिस टेस्ट किया गया, जिसमें अंडे के अंदर पीली जर्दी को कटोरी में डाला गया, जिससे वह तरल पदार्थ की तरह फैल गया उसको गरम करने पर वह सिकुड़कर गोले जैसा बन गई।मिलावटी अंडे की सूचना पर अंडा कारोबारियों में हड़कंप मच गया। कई विक्रेताओं ने अपनी दुकान से अंडे के करेट गायब कर दिए। विक्रेताओं का कहना है कि मिलावटी अंडा साबित होने पर अंडा विक्रेताओं के व्यापार पर काफी असर पड़ेगा। देखने में असली और नकली अंडे एक जैसे दिखते हैं। देखकर इन दोनों के बीच का अंतर बता पाना बहुत मुश्किल है।
कुछ ऐसे तरीके हैं जिनसे असली और नकली अंडों की पहचान हो सकती है:
नकली अंडे का छिलका थोड़ा सख्त होता है। यह असली अंडे की तुलना में थोड़ा खुरदुरा भी होता है। इसके अलावा छिलके के अंदर एक रबरनुमा लाइनिंग भी होती है।
अगर आप अंडा तोड़कर इसे कुछ समय के लिए छोड़ देते हैं, तो अंडे का सफेद और पीला द्रव्य कुछ समय में एक-दूसरे के साथ मिल जाएंगे। ऐसा इसलिए कि वे दोनों एक ही पदार्थ से बने होते हैं।
नकली अंडे पक जाने पर भी पानी में नहीं डूबते हैं। अगर आप इन्हें कई दिन तक बाहर खुले में भी छोड़ दें, तब भी इनमें ना तो मक्खियां लगेंगी और ना ही चीटियां ही इनकी ओर आकर्षित होंगी।
जब नकली अंडे को तलते हैं, तो बिना छुए ही अंडे की जर्दी (पीला हिस्सा) फैल जाएगी, जबकि असली अंडे को तलते समय उसका पीला हिस्सा कुछ देर साबुत बना रहता है।