देश में कोरोना के विकराल रूप और कुंभ के कोरोना के ऐपिसेंटर बनने के बीच शनिवार सुबह पीएम मोदी ने साधू संतों से कुंभ को प्रतीमात्मक रखने की अपील की। पीएम ने ट्वीट कर कहा कि, “आचार्य महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी अवधेशानंद गिरि जी से आज फोन पर बात की। सभी संतों के स्वास्थ्य का हाल जाना। सभी संतगण प्रशासन को हर प्रकार का सहयोग कर रहे हैं। मैंने इसके लिए संत जगत का आभार व्यक्त किया।”। इसके अगले ट्वीट में पीएम ने कहा कि, “मैंने प्रार्थना की है कि दो शाही स्नान हो चुके हैं और अब कुंभ को कोरोना के संकट के चलते प्रतीकात्मक ही रखा जाए। इससे इस संकट से लड़ाई को एक ताकत मिलेगी। “
पीएम से बात होने औऱ उनके ट्वीट के कुछ ही देर बाद स्वामी अवधेशानंद ने भी ट्वीट किया और कहा कि, “माननीय प्रधानमंत्री जी के आह्वान का हम सम्मान करते हैं ! जीवन की रक्षा महत पुण्य है।मेरा धर्म परायण जनता से आग्रह है कि कोविड की परिस्थितियों को देखते हुए भारी संख्या में स्नान के लिए न आएँ एवं नियमों का निर्वहन करें !“
गौरतलब है कि ऐसे समय में जब पूरा देश कोरोना की दूसरी भयावह लहर की चपेट में हैं, ऐसे में कुंभ के आयोजन और वहां कोरोना प्रोटोकॉल की उड़ रही घज्जियों को लेकर राज्य और केंद्र सरकार की खासी फजीयत हो रही थी।
हांसलाकि दो दिन पहले ही निरंजनी अखाड़े ने ऐलान किया था कि कोरोना के चलते वो कुंभ समाप्ति की घोषणा कर रहे हैं। लेकिन, इसके कारण हरिद्वार में मौजूद अखाड़ों में विवाद खड़ा हो गया था। बैरागी अखाड़े के श्रीमहंत धर्मदास महाराज ने कहा कि कुंभ समाप्ति की घोषणा का अधिकार मेला अधिकारी व मुख्यमंत्री को है। किसी अखाड़े को कुंभ समाप्ति की घोषणा का अधिकार नहीं है। ऐसे में निरंजनी व आनन्द अखाड़े को इस पर माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहाकि बिना आपसी विचार-विमर्श के ऐसे ही चलाता रहा तो हमारा साथ चलना मुश्किल होगा।
अब देखना होगा कि कुंभ को लेकर पीएम की अपील साधू संतो पर किता असर डाल पाती है।