मन की बात में पीएम मोदी ने उठाई बागेश्वर के छोटे से गांव मुन्नार की बात

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देहरादून , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के छोटे से गांव मुन्नार के गांव की महिलाओं की बात को मन की बात में उठाकर उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों के अन्य गांवों को आइना दिखा दिया। लगातार पलायन और रोजगार के चलते गांव के गांव मैदानों में समाते जा रहे हैं, ऐसे में बागेश्वर जिले के मुन्नार गांव की महिलाएं कुछ ऐसा कर रही है जिससे सालाना 10 से 15 लाख का फायदा आसपास के काश्तकारों को हो रहा है।

मन की बात में पीएम  मोदी ने बागेश्वर जिले के मां चिंल्टा सहकारिता समूह की सराहना की। मन की बात नहीं नरेंद्र मोदी ने अपने चिरपरिचित अंदाज में जैसे ही बोला सभी के कान प्रधानमंत्री की बातों में ध्यान से सुनने में लग गए। नरेंद्र मोदी ने बोला–भाइयो-बहनो, उसी प्रकार से उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के कुछ किसान देश-भर के किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत  बन गए हैं। उन्होंने संगठित प्रयासों से न सिर्फ़ अपना बल्कि अपने क्षेत्र का भी भाग्य बदल डाला।

उत्तराखंड के बागेश्वर में मुख्य रूप से मंडवा, चौलाई, मक्का या जौ की फसल होती है। पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से किसानों को इसका उचित मूल्य नहीं मिल पाता था लेकिन कपकोट तहसील के किसानों ने इन फसलों को सीधे बाज़ार में बेचकर घाटा सहने के बजाये उन्होंने मूल्य वृद्धि का रास्ता अपनाया। इन्हीं खेत पैदावार में से बिस्कुट बनाना और बेचना शुरू किया। उस इलाके में तो ये बड़ी पक्की मान्यता है कि लौह-तत्व से युक्त ये बिस्कुट गर्भवती महिलाओं के लिए तो एक प्रकार से बहुत उपयोगी होते हैं। इन किसानों ने  गाँव में एक सहकारी संस्था बनाई है और वहाँ बिस्कुट बनाने की फैक्ट्री खोल ली है। किसानों की हिम्मत देखकर प्रशासन ने भी इसे राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जोड़ दिया है।

ये बिस्कुट अब न सिर्फ बागेश्वर ज़िले के लगभग पचास आंगनवाड़ी केन्द्रों में, बल्कि अल्मोड़ा और कौसानी तक पहुँचाये जा रहे हैं। किसानों की मेहनत से संस्था का सालाना फायदा न केवल 10 से 15 लाख रूपये तक पहुँच चुका है बल्कि 900 से अधिक परिवारों को रोज़गार के अवसर मिलने से ज़िले से होने वाला पलायन भी रुकना शुरू हुआ है।”

उत्तराखंड में पलायन को मात देने के लिए कई तरह के स्वरोजगार कारगर सिद्ध हो सकते हैं। जरूरत है राज्य सरकार को इस दिशा में कदम उठाने की। हॉर्टिकल्चर, फ्लोरीकल्चर और पहाड़ी अनाज को ब्रांडिंग के द्वारा अगर मार्केट मिल जाए और सरकार किसानों के मन की बात को जान ले, तो आने वाले दिनों में उत्तराखंड के गांव एक बार फिर आबाद हो जाएंगे और रोजगार की दिशा में युवाओं को नई मंजिल मिल जाएगी।