देश में लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ा, 20 अप्रैल से कुछ क्षेत्रों में सशर्त ढ़ील
– 15 अप्रैल को जारी होंगे दिशाा-निर्देश
– प्रधानमंत्री मोदी ने सात बातों पर मांगा सहयोग
– बड़ी आर्थिक कीमत चुकाई, पर देशवासियों की जान बचाई
– गरीब-किसान-दिहाड़ी मजदूरों की चिंता को सर्वोच्च प्राथमिकता
-समय रहते उठाए कदमों से कोरोना प्रकोप को कम किया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को देश के नाम अपने संदेश में कोरोना महामारी के फैलाव की रोकथाम के लिए देशभर में जारी लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाने की घोषणा की। इसके साथ ही साफ किया कि कोरोना संक्रमण से अब तक बचे रहे क्षेत्रों में 20 अप्रैल से लॉकडाउन में सशर्त ढील देने दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश सरकार की ओर से बुधवार को जारी किए जायेंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार सुबह 10 बजे राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि राज्यों के मुख्यमंत्रियों सहित विशेषज्ञों का यह मानना है कि लॉकडाउन को आगे बढ़ाना चाहिए। अनेक राज्यों ने तो पहले से ही लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा कर दी है। सबकी राय मानते हुएदेशभर में लॉकडाउन को 3 मई (रविवार) तक आगे बढ़ाने का फैसला किया है। 21 दिन के लॉकडाउन के बाद 19 दिन की और बढ़ोत्तरी करने से देश भर में कुलमिलाकर 40 दिन का लॉकडाउन हो जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का मकसद है कि देश में कोरोना का संक्रमण नए क्षेत्रों में न फैले। इसके लिए अगले एक सप्ताह तक कोरोना संक्रमण को लेकर अधिक सख्ती बरती जाएगी। संक्रमण रोकने के लिए सख्ती का कड़ाई से पालन कराने वाले और अबतक संक्रमण से बचे रहने वाले क्षेत्रों में एक सप्ताह बाद यानी 20 अप्रैल से लॉकडाउन में सशर्त ढील दी जाएगी। ऐसा दिहाड़ी मजदूरों, गरीबों, किसानों के लिए किया जाएगा जो कि कोरोना संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित है। साथ ही उन्होंने सख्त हिदायत देते हुए कहा कि छूट दिए जाने के बाद अगर संक्रमण का प्रसार इन क्षेत्रों में होता है तो तुरंत प्रभाव से सभी रियायतें व ढील वापिस ले ली जाएगी।
मोदी ने कहा कि वर्तमान में देश में रवि की फसल की कटाई का समय है, ऐसे में केन्द्र और राज्य सरकारें किसानों को कम से कम दिक्कत हो, इसका प्रयास कर रही हैं। उन्होंने कहा कि देश में जरूरत के सामान में कमी नहीं है और सरकार सामान की आवाजाही सुगम बना रही है। इसके अलावा स्वास्थ्य संबंधित सुविधाओं को भी बढ़ाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में देश के युवा वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वह अधिक प्रयास कर इस बीमारी के खिलाफ वैक्सिन बनाए जिससे देश और दुनिया का भला हो सके।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने समय रहते कदम उठाए जिसके चलते वह विश्व के अनेक सामर्थ्यवान देशों की तुलना में काफी संभली हुई स्थिति में है। जब देश में एक भी कोरोना का मरीज नहीं था तभी से हमने एयरपोर्ट पर जांच का काम शुरू कर दिया था। इसके बाद बाहर से आए लोगों का क्वारंटाइन आवश्यक करने से लेकर समय रहते 21 दिनों का लॉकडाउन जैसा कठोर कदम उठाने के चलते ही हम संकट को काफी हद तक कम कर पाए हैं। विश्व भर में कोरोना से जैसा प्रकोप दिखाया है, उसकी भारत में कल्पना करने से ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि समय पर तेज फैसले और एकीकृत निर्णय लेने की प्रक्रिया से ही देश कोरोना से काफी हद तक बचा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि समाजिक दूरी बनाने और लॉकडाउन की बहुत बड़ी आर्थिक कीमत चुकानी पड़ी है लेकिन यह देशवासियों की जिदंगी से ज्यादा नहीं है। दुनियाभर में भारत के प्रयासों की प्रशंसा हो रही है। प्रधानमंत्री ने राज्य सरकारों और स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यों की प्रशंसा की।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के दौरान पहले गमछे से मुंह को ढका हुआ था हालांकि भाषण देते हुए उन्होंने इसे उतार दिया। लोगों को भी इसी तरह से अपने मुंह और नाक को ढकने की अपील की।
अपने संबोधन की शुरूआत में ही संविधान निर्माता डॉ भीमराव अम्बेडकर को याद करते हुए उन्होंने कहा कि देश संविधान की प्रस्तावना में ‘हम भारत के लोग’ इस भावना को आगे ले जा रहे हैं और मिलकर परेशानियों के बावजूद संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने देश में त्यौहारों और नववर्ष की शुरुआत की बधाई देते हुए लोगों के घर में रहकर त्यौहार बनाने को प्रेरक और प्रशंसनीय बताया। उन्होंने लोगों के उत्तम स्वास्थ्य की कामना की।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के अंत में लोगों से सात बातों का विशेष ध्यान रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों और बीमार लोगों का खास ध्यान रखा जाए, समाजिक दूरी का पालन करते हुए मास्क का प्रयोग करें, खुद की रोक प्रतिरोधक क्षमता को लगातार बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय के सुझावों का पालन करें, आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करें और दूसरों से भी करायें, गरीबों की देख-रेख करें, अपने कर्मचारियों का ख्याल रखें और उन्हें नौकरी से न निकालें और कोरोना के खिलाफ लड़ाई कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों और पुलिसकर्मियों का सम्मान करें।