शुरू हुई केदारनाथ में शिलापटों पर नामों की राजनीति

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदार पुरी दौरे को जहां सरकार और बीजेपी के नेता राज्य में विकास के डबल इंजन से जोड़ कर देख रहे हैं वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस दौरे को राजनैतिक शिष्टाचार की हत्या करार दे दिया है। दरअसल केदारनाथ विधानसभा सीट कांग्रेस के पास है और यहां से पहली बार विधायक बने मनोज रावत कांग्रेस की नुमाइंदगी कर रहे हैं। मोदी ने केदारनाथ में कई विकास कार्यों की आधारशीला रखी। कांग्रेस का आरोप है कि जानबूझकर प्रोटोकॉल को दरकिनारकर इन शिलापटों पर स्थानीय विधायक का नाम नहीं लिखा गया। इस बारे में न्यूजपोस्ट से बात करतेहुए मनोज रावत ने कहा कि “जब मैने इस बारे में डीएम से पूछा तो उन्होने कहा कि ये नाम सीधे पीएमओ से फाइनल होकर आये हैं। लेकिन ये काम तो राज्य सरकार का होता है। बीजेपी घमंड में राजनीतिक शिष्टाचार को भुला बैठी है और इसलिये मैंने भी कार्यक्रम में एक आम नागरिक की ही तरह हिस्सा लिया “। दरअसल प्रधानमंत्री के पिछले केदारनाथ दौरे के दौरान भी मनोज रावत ने सरकार और प्रशासन पर उन्हें आधिकारिक न्यौता न देने का आरोप लगाया था। इस बार स्थानीय विधायक को न्यौता तो मिला लेकिन शिलापट में विधायक के नाम को जगह नहीं मिल पाई।

वहीं बीजीपी इस मामले में कांग्रेस पार्टी और उनके विधायक पर बिना मतलब की राजनीति करने का आरोप लगा रही है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि कांग्रेस और उसके नेता केदारनाथ में हो रहे विकास के कामों में दिलचस्पी नहीं रखते बल्कि वहां बीजेपी द्वारा किया जा रहे कामों  को अपने नाम कैसे करा जाये इसमे रुचि रखते हैं।

बहरहाल इस पूरे मामले में ये बाततो तय है कि शिलापट पर किन लोगों के नाम आये इसमें सत्तारूढ़ दल की तरफ से खास ध्यान दिया गया है। लेकिन ये बात भी अपनी जगह है कि कांग्रेस को भी नामों पर ध्यान न देकर काम पर ध्यान देना चाहिये ताकि उनके द्वारा किेये गये काम किसी शिलापट के मोहताज न रहे।