उत्तराखंडः आईटीबीपी और एनडीआरएफ ने अब तक 24 मीटर ड्रिल की, पीएमओ ने संभाली जिम्मेदारी

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उत्तराखंड में यमुनोत्री हाइवे को जोड़ने वाली राडी के बीच सिलक्यारा टनल साइट पर नई जैक एंड पुश अर्थ ऑगर मशीन ने अब रफ्तार पकड़ ली है। 12 नवम्बर से सुरंग में कैद 40 श्रमिकों की अब जल्द बाहर आने की उम्मीद है। उम्मीद है कि एक -दो दिनों में फंसे मजदूरों को बाहर निकाला जा सकेगा। सूचना है कि कुछ श्रमिकों की तबीयत भी खराब हो रही है।

इधर, प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी सर्च एंड रेस्क्यू का कार्य अपने हाथ में ले लिया है। भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल और एनडीआरएफ अमेरिकी जैक एंड पुश अर्थ ऑगर मशीन से लगातार ड्रिल कर आगे बढ़ रही हैं। यह हाईपावर मशीन एक घंटे में पांच से छह मीटर तक ड्रिल कर रही है लेकिन डेढ़ घंटे में तीन मीटर पाइप ही मलबे में जा पा रहे हैं।

जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला ने बताया कि शुक्रवार सुबह सात बजे तक 24 मीटर ड्रिल की जा चुकी है। पांच पाइप अंदर जा चुके हैं। पाइपों को वेल्ड करने में और एलाइनमेंट करने में अधिक समय लग रहा है। ड्रिलिंग जारी है और उम्मीद है कि फंसे हुए 40 श्रमिकों का जल्द सकुशल रेस्क्यू हो जाएगा।

इस बीच झारखंड सरकार ने आईएएस अधिकारी भुवनेश प्रताप सिंह के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम को सिलक्यारा टनल में फंसे राज्य के 15 मजदूरों की कुशलक्षेम जानने के लिए भेजा है। झारखंड की इस टीम में भुवनेश प्रताप सिंह सीईओ जेएपीआईटी के साथ ही ज्वाइंट लेबर कमिश्नर राजेश प्रसाद एवं प्रदीप रोबर्ट लकेड़ा ने झारखंड के मजदूर विश्वजीत एवं सुबोध से पाइप के जरिए बातचीत कर उनका हालचाल जाना।

इसी दौरान पत्रकारों से बात करते हुए भुवनेश प्रताप सिंह ने केंद्र एवं उत्तराखंड सरकार और उत्तरकाशी जिला प्रशासन के राहत एवं बचाव हेतु किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक स्तर पर इस आपदा प्रबंधन और रेस्क्यू कार्य हेतु मुकम्मल इंतजाम किए गए हैं। उन्होंने सुरंग में फंसे मजदूरों की स्थिति और उनकी देखभाल हेतु की गई व्यवस्थाओं को संतोषजनक बताते हुए भरोसा जताया कि जल्द ही सभी मजदूर सुरक्षित निकाल लिये जाएंगे।

इधर, सुरंग में भीतर कंपनी की लापरवाही से हुए भूस्खलन के मलबे के भीतर 900 एमएम के पाइप ड्रिल किए जा रहे हैं।शुक्रवार अपराह्न करीब 1:30 बजे तक पांच पाइप ड्रिल किए जा चुके हैं यानी लगभग 30 मीटर तक मलबे के भीतर पाइप पहुंच चुके हैं। अब कंपनी ने सुरंग के भीतर फंसे श्रमिकों की सूची जारी कर बताया है कि आज सुबह सुरंग के भीतर सरिया, लोहे के साथ एक बड़ा बोल्डर आ गया था, जिस वजह से पाइप आगे नहीं बढ़ रहा था। इंजीनियर पाइप के जरिए भीतर पहुंचे और बोल्डर और सरिया को कटर के माध्यम से हटाया गया।

एनएचडीआईएल के निदेशक अंशु मनीष खलको ने मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए एमएस पाइप की स्केप टनल बनाने के लिए ऑगर मशीन की सहायता से पाइप पुशिंग का कार्य प्रगति पर है। अभी तक मलबे के भीतर 24 मीटर की दूरी तक पाइप डाला जा चुका है। रेस्क्यू अभियान की प्रतिधारण क्षमता बढ़ाने के लिए इंदौर से एक और ऑगर मशीन बैकअप के लिए एयर लिफ्ट कर लाये जाने की भी व्यवस्था की गई है। इस दौरान रेस्क्यू अभियान जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि मशीन शनिवार सुबह तक पहुंच जाएगी। सिलक्यारा में जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला,पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी, उपजिलाधिकारी बृजेश तिवारी, के साथ ही एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी के अधिकारी भी मौजूद हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इन लोगों के साथ लगातार संपर्क में हैं।

उल्लेखनीय है कि थाइलैंड में जून 2018 में लगभग 18 दिनों तक गुफ़ा में फंसे रहे लोगों की घटना को दुनिया का सबसे मुश्किल रेस्क्यू ऑपरेशन माना जाता है। स्थानीय रेस्क्यू टीम के मुताबिक वह थाइलैंड की रेस्क्यू टीम से भी संपर्क में है ताकि उनकी मदद ली जा सके। वर्ष 2018 में थाइलैंड में हुए हादसे में जूनियर फुटबॉल टीम के कोच समेत 12 लोग एक गुफा में फंस गए थे। उन्हें विशेषज्ञों की टीम ने रेस्क्यू किया था।

ज्ञातव्य है कि छह दिनों से सुरंग में कैद श्रमिकों के परिजन अपनों की एक झलक पाने के लिए बेताब हैं। इन्हीं लोगों में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के गब्बर सिंह नेगी भी हैं, जो सुरंग में बीते 6 दिनों कैद हैं। उनके पुत्र गणेश नेगी भी अपने पिता की एक झलक पाने को बेताब हैं। जो उनके सकुशल बाहर आने का इंतजार और उनकी सलामती की दुआ कर रहे हैं।