पिछले दिनों उत्तराखंड पुलिस को एक बड़ी कामयाबी तब मिली जब उसके हत्थे अंतर्राजीय किडनी रैकेट का सरगना डाॅ अमित चढ़ा। इसके बाद परत दर परत किडनी रैकेट में शामिल लोगों के राज़ खुलते रहे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड में फैले इस गिरोह का सुराग पुलिस को कैसे मिला? इसके पीछे न कोई तकनीक थी न ही कोई बड़ी टीम बल्कि एक सजग पुलिस कर्मी की सूझबूझ।
करीब एक महीने पहले रानीपुर थाने में तैनात कांस्टेबल पंकज शर्मा चाय पीने के लिये नुक्ड़ की दुकान पर गये। वहां पहले से मौजूद दो ड्राइवरों को बात करते उन्होनें सुना। वो दोनों किसी निजि अस्पताल में गैरकानूनी काम होने के बारे में बात कर रहे थे। दरअसल इन दोनों ड्राइवरों पर गंगोत्री अस्पताल में किडनी डोनरों को लाने की जिम्मेदारी थी।
पंकज कहते हैं कि, “दोनों की बात सुनकर मुझे शक हुअा कि हो न हो देहरादून या आसपास के इलाके में कोई बड़ा अंगों का अवैध रैकेट चल रहा है।” इसके बाद शर्मा ने अपने सीनियर अधिकारियों को इसके बारे में सूचित किया। जिसके बाद ये मामला हरिद्वार एसएसपी कृष्ण कुमार तक पहुंचा। जिन्होंने न्यूज़पोस्ट टीम को बताया कि, यह जानकारी दो लोगों से मिली पंकज शर्मा और सब इंस्पेक्टर अभिनव शर्मा और फिर तकरीबन एक महीने से ऊपर की कड़ी मेहनत के बाद कुछ साॅलिड लीड्स हाथ लगे,जिसके आधार पर एक टीम गठित की गई।
मामले में कोई सटीक जानकारी न होने के बावजूद पुलिस विभाग ने अपने खुफिया तंत्र की मदद से आखिरकार डोईवाला में गंगोत्री चैरिटेबल अस्पताल की पहचान कर ली चहां ये किडना रैकेट फल फूल रहा था।लेकिन देहरादून पुलिस को इस बारे में बताने के लिेये हरिद्वार पुलिस के पास अभी भी पर्याप्त सबूत नहीं थे। इसलिये दोबारा करीब एक महीने की कड़ी मेहनत के बाद पुलिस को ये पुख्ता जानकारी मिली कि 10 सितंबर को किडनी डोनरों को एक गाड़ी में ले जाया जायेगा। इसके चलते पुलिस ने एक्शन लिया और पांच लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें डाॅ अमित का मुख्य गुर्गा जावेद भी सामिल था जिसपर डोनरों को लाने ले जाने की जिम्मेदारी थी।