मुकद्दर के सिकंदर हैं यशपाल आर्य, बने नेता प्रतिपक्ष

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    यशपाल

    उत्तराखंड के कुछ नेता मुकद्दर के सिकंदर हैं। जहां भी जाते हैं अपना रास्ता तय कर लेते हैं। ऐसा ही एक नाम है दलित समाज के नेता यशपाल आर्य, जिन्होंने कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा में भी अपनी जड़ें जमाई और अपने साथ-साथ बेटे को भी विधायक बना लिया।

    कांग्रेस के दलित मुख्यमंत्री के दांव से वह इतने भ्रमित हुए कि दोबारा से भाजपा छोड़ कांग्रेस में पहुंच गए। स्वयं तो विधायक बन गए, लेकिन बेटा संजीव आर्य नैनीताल से चुनाव हार गए। लेकिन यशपाल आर्य का एक बार फिर से भाग्य ने साथ दिया और कांग्रेस में भी पूर्व मंत्री, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रहने के साथ-साथ उन्हें नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी गई जो अपने आप में विपक्ष का बड़ा पद है। उत्तराखंड बनने के बाद गत 22 वर्षों से यशपाल आर्य कभी कमजोर हुए तो कभी और सबल होकर उभरे।

    यह है यशपाल आर्य का राजनीतिक सफर

    राज्य स्थापना के बाद 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में यशपाल आर्य 2002 से 2007 तक सत्ताधारी पार्टी के विधायक रहे और विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली। वर्ष 2007 से 2012 तक उत्तराखंड में भाजपा की सरकार रही पर यशपाल आर्य इस दौरान उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे। उनका अध्यक्ष का कार्यकाल 2007 से 2014 तक रहा। 2012 के चुनाव कांग्रेस सत्ता में आई और यशपाल आर्य सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। 2017 में उन्होंने दल बदल किया और बेटे के साथ जीतकर विधानसभा पहुंचे।

    यशपाल आर्य ने साल 2017 से 2022 तक भाजपा में कैबिनेट मंत्री के तौर पर काम किया। वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस सदस्यता ली। इसके पीछे कांग्रेस का मुख्यमंत्री दांव था, लेकिन भाजपा के जीतने के बाद यह दांव तो फेल हो गया पर उन्हें नेता प्रतिपक्ष जैसा पद मिल गया है जो अपने आप में काफी महत्वपूर्ण है।