सोशल मीडिया के माध्यम से देशभर में पीड़ित और कमजोरों को अपने शब्द कहना का एक बेहतरीन मौका मिल गया है। बी.एस.एफ. हो सी.आर.पी.एफ. या हो भारतीय फ़ौज, सभी ने अपने दर्द सोशियल मीडिया के माध्यम से ही अपने बॉस तक पहुंचाया है। उत्तराखण्ड के हल्द्वानी में अब चुनाव से ठीक पहले एक निष्काशित भाजपा कार्यकर्ता का अपने साथ हुई अलोकतांत्रिक कार्यवाही को बयां करता विडियो वायरल हुआ है। उन्होंने अपने को उपेक्षित मानते हुए पार्टी पर अपमानित करने का आरोप लगाया है। आरोप लगाया कि गलत काम करके कुछ लोग आर.एस.एस.का नाम बदनाम कर रहे हैं। यहाँ योग्यता कोई मायने नहीं रखती और पार्टी में पद को आर.आर.एस.तय करती है। सुशील भट्ट कहते हैं कि उन्होंने कुछ समय पहले पार्टी सदस्यों के शोषण को पार्टी हाईकमान के आगे उठाया जिसके बाद उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। वायरल विडियो में अपने दोस्तों को संबोधित करते हुए शुशील भट्ट ने कहा है कि उनके साथ अन्याय हुआ और अपने दोस्तों से अनुरोध किया है कि इस विडियो को शेयर करके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भा.ज.पा.राष्ट्राध्यक्ष अमित साह तक पहुंचाएं। उन्होंने ये भी कहा कि उनका मन्ना है कि राजनितिक पार्टियों में बिना लोकतंत्र स्थापित किये आजाद भारत की परिकल्पना बेईमानी होगी। उन्होंने प्रधानमंत्री और भा.ज.पा.राष्ट्राध्यक्ष से अनुरोध किया है कि पार्टी में पद योग्य लोगों के हाथों में दिया जाए और एक सर्जिकल स्ट्राइक भा.ज.पा.में भी की जाए।
29 मई 2010 को बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल नें पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई। दो बार भा.ज.पा.के सक्रीय सदस्य रहे व उत्तराखंड भा.ज.पा.खेल प्रकोष्ट में 2 बार प्रदेश सह संयोंजक के पद पर भी रहे हैं । दस अगस्त 2015 को भा.ज.पा.में कार्यकर्ताओं के हो रहे शोषण के खिलाफ तथा पार्टी में लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना के लिए एस.डी.एम.हल्द्वानी के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भा.ज.पा.राष्ट्राध्यक्ष अमित शाह को ज्ञापन भेजा था । जिसके बाद 13 अगस्त 2015 को प्रदेश संगठन ने कारण बताओ नोटिस जारी किया गया । बीस अगस्त 2015 को सुशील भट्ट ने इसका लिखित जवाब भी दिया । आरोप है कि चार सितम्बर 2015 को अचानक उन्हें अलोकतांत्रिक तरीके से पार्टी से 6 वर्ष के लिए निष्काशित कर दिया गया । इसके बाद 2 अक्टूबर 2015 को पार्टी कार्यकर्ताओ के शोषण के विरूद्ध और पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की माँग को लेकर अपने समर्थकों के साथ सुशील भट्ट आमरण अनशन शुरू करने के लिए दिल्ली रवाना हुए, जहाँ भा.ज.पा.मुख्यालय कूच करते हुए उन्हें समर्थकों समेत दिल्ली पुलिस ने 10 घंटे तक हिरासत में ले लिया और पार्लियामेंट थाने में नजरबन्द कर दिया।
उन्होंने कहा कि उन्हें पार्टी में वापस जोड़ने के लिये तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने 2 मई 2010 को उत्तराखंड प्रदेशाध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल के लिए एक पत्र भी लिखा था । सुशील ने ये सभी लिखित तथ्य अपने वायरल विडियो में डाले हैं जिन्हें लोग देख भी रहे हैं।