त्रिवेंद्र सिंह के डोईवाला सीट से चुनाव ना लड़ने की इच्छा के पीछे कई मायने

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राजनीति
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पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के डोईवाला विधानसभा क्षेत्र से चुनाव ना लड़ने की इच्छा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे गए पत्र के माध्यम से ऐसे ही व्यक्त नहीं की गई है। इसके पीछे कई मायने भी छिपे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह के नजदीकी राजनीतिक पंडितों का कहना है कि त्रिवेंद्र को लग गया था कि उनका डोईवाला क्षेत्र में काफी विरोध और कार्यकर्ताओं में भारी रोष है। साथ ही कार्यकर्ताओं की समस्याओं को न सुनना और उनके कार्य नहीं किया जाना है। जबकि उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद कार्यकर्ताओं की उनसे काफी अपेक्षाएं थीं, जिन पर वह खरा नहीं उतर पाए हैं। इसके कारण काफी नजदीकी लोग भी उनसे छिटक गए थे। इस कारण उन्हें लग गया था कि वह अब डोईवाला विधानसभा चुनाव की नैया पार नहीं कर सकते हैं। इसलिए उन्होंने अपनी इज्जत बचाने के लिए जेपी नड्डा को लिखे पत्र के माध्यम से अपनी डोईवाला विधानसभा क्षेत्र से चुनाव ना लड़ने की इच्छा व्यक्त की है।

विस अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री सुबोध की नाराजगी भी बनी मजबूरी-

ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्र से पिछले 15 वर्षों से विधायक प्रेमचंद अग्रवाल की इच्छा अपने पैतृक घर डोईवाला विधानसभा क्षेत्र से ही चुनाव लड़ने की है। अग्रवाल ने पिछली बार ही अपनी इस इच्छा को व्यक्त किया था, लेकिन राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामलाल के वरदहस्त के कारण उन्हें ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्र से ही चुनाव लड़वाया गया था, जिसमें उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की प्रतिष्ठा बचाते हुए चुनाव में विजय हासिल की थी। इसको ध्यान में रखते हुए भाजपा हाईकमान ने इस बार उनकी इच्छा को सर्वोपरि रखा है।

यही नहीं नरेंद्र नगर विधानसभा क्षेत्र से कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल और भाजपा नेता ओम गोपाल रावत के बीच चल रही टिकट को लेकर रस्साकशी को भी भाजपा हाईकमान ने ध्यान में रखा है। पिछले चुनाव में सुबोध उनियाल ने यह सीट गोपाल रावत से मात्र एक इकाई के अंतर से जीती थी, जिसके कारण भाजपा कार्यकर्ताओं में तभी से काफी रोष चला आ रहा था।

इतना ही नहीं सुबोध उनियाल के वरदहस्त होने के कारण गोपाल रावत का नगर पालिका मुनि की रेती क्षेत्र का उम्मीदवार भी मात्र कुछ ही मतों के अंतर से पराजित होना भी भाजपा कार्यकर्ताओं के रोष का कारण बना है ,जिससे पार्टी के द्वारा कराए गए सर्वे में यह स्पष्ट हो गया है कि इस सीट पर यदि ओम गोपाल रावत निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में सुबोध उनियाल के सामने दावेदार बन गए तो यह सीट खतरे में पड़ सकती है।

इसे लेकर भाजपा हाईकमान भी असमंजस की स्थिति में फंसा था, लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत के डोईवाला सीट से चुनाव ना लड़ने की इच्छा के चलते तीन विधानसभा पर इसका प्रभाव पड़ेगा। इसमें यदि विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल को डोईवाला से लड़वाया जाए और सुबोध उनियाल को ऋषिकेश विधानसभा, ओम गोपाल को नरेंद्र नगर विधानसभा से चुनाव मैदान में उतार दिया जाए तो तीनों सीट भाजपा की झोली में आसानी से जा सकती हैं। क्योंकि तीनों सीटों पर कांग्रेस और अन्य दलों के बीच कोई दमदार उम्मीदवार अभी तक जनता के बीच अपनी घुसपैठ नहीं बना पाया है। जबकि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता तीनों सीटों को भाजपा की झोली में डालने के लिए तैयार हैं, लेकिन यह तभी संभव है की तीनों सीटों पर कार्यकर्ताओं की अपेक्षाओं के अनुरूप उम्मीदवारों को उतारा जाएगा। इस कारण भारतीय जनता पार्टी के तीनों विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी दूर हो जाएगी।