आईएएस अधिकारी सुवर्धन को लेकर राजनीतिक अटकलें तेज

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देहरादून। सरकार को कटघरे में खड़ा करने वाले राज्य चुनाव आयुक्त सुवर्धन शाह, जो अपनी कार्यशैली और विनम्रता के लिए प्रख्यात रहे हैं, के नाम को लेकर राजनीतिक अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं। सुवर्धन भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों के केंद्र बिन्दु बने हुए हैं और दोनों पार्टियां उन्हें अपने पाले में लाना चाहती हैं। मगर जिस ढंग से उन्होंने भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा किया है और अब कांग्रेस भी उन्हीं की बोली बोल रही है। इससे यह संकेत मिलता है कि कहीं न कहीं सौम्य और अच्छे अधिकारी के रूप में प्रसिद्ध सुवर्धन के नाम का राजनीति में उपयोग प्रारंभ हो गया है।
हाल ही में थराली के भाजपा विधायक मगन लाल शाह का बीमारी के कारण निधन हो गया था। उनके निधन के बाद यह सीट रिक्त हो गई लेकिन चुनाव आयोग द्वारा अब तक चुनाव की कोई घोषणा नहीं की गई। इसी बीच राज्य निर्वाचन आयुक्त सुवर्धन द्वारा राज्य सरकार को जिस ढंग से कटघरे में खड़ा किया गया है, वह चर्चाओं में है। लोग इसके अलग-अलग मायने निकालने लगे हैं। हालांकि मगन लाल शाह ने तत्कालीन कांग्रेस प्रत्याशी एवं पूर्व विधायक प्रो. जीत राम को पराजित किया था।
प्रो. जीत राम कांग्रेस की ओर से सहज प्रत्याशी हो सकते हैं लेकिन चुनाव आयोग द्वारा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद कयासों का दौर तेज हो गया है कि कहीं वरिष्ठ आईएएस सुवर्धन थराली से विधानसभा में तो नहीं आना चाहते। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने थराली के विकासखंड घाट में पहुंचकर कार्यकर्ताओं से उप चुनाव में तैयार होने के लिए कहा है। उन्होंने कांग्रेस को एकता की सीख दी है। कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह का यह दौरा और उनके साथ प्रो. जीतराम का लगातार बने रहना चुनावी कयासों को बढ़ा रहा है।
प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने इस क्षेत्र में प्रो. जीतराम को विकास का प्रतीक बताया और कहा कि जनता फिर उनकी ओर देख रही है। जबकि प्रो. जीतराम ने भी अपने कार्यकाल का लेखा-जोखा जनता के बीच रखा तथा कहा कि वह जनता की निरंतर सेवा करते रहेंगे।
प्रो. जीतराम और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के साथ-साथ रहने के बावजूद कुछ राजनीतिक जानकार चुनाव आयुक्त को भी इस व्यस्था से जोड़कर देखते हैं। हालांकि भाजपा की ओर से पूर्व विधायक स्वर्गीय मगन लाल शाह की पत्नी मुन्नी देवी शाह भी प्रबल दावेदार हो सकती हैं लेकिन राजनीतिक गलियारे में राज्य चुनाव आयुक्त सुवर्धन, जो शीघ्र ही सेवामुक्त होने वाले हैं, का नाम भी इस मामले में जोड़कर देखा जा रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं कि जानबूझ कर सुवर्धन के नाम की चर्चा उड़ाई जा रही है, जो किसी सोची-समझी साजिश का हिस्सा है।