ऋषिकेश। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) के गंगा प्रदूषण पर सुनवाई करते हुए हरिद्वार, ऋषिकेश, उत्तरकाशी में प्लास्टिक के इस्तेमाल, उसकी खरीद-बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाए जाने का तीर्थ नगरी ऋषिकेश की अधिकांश संस्थाओं ने स्वागत किया। उन्होंने इसे सख्ती से लागू किए जाने की बात भी कही।
गंगा सेवा समिति के अध्यक्ष चंद्रशेखर शर्मा ने एनजीटी के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यदि इस फैसले के बाद नगर पालिका समेत इससे जुड़ी तमाम संस्थाएं पूरी शक्ति से गंगा स्वच्छता अभियान के लिए लगेंगी तो निश्चित रूप से एक दिन गंगा स्वच्छ व साफ हो जाएगी। अभी तक पूर्व में गंगा से 200 मीटर के दायरे में डाले जाने वाले कूड़े को लेकर नगर पालिका व संबंधित विभाग सक्रिय नहीं हुआ है। इससे नगर का सारा कूड़ा अब भी गंगा में डाला जा रहा है। वहीं, इसके विरोध में सर्वदलीय संघर्ष समिति 25 दिन से धरना दे रही है लेकिन पालिका ने अभी तक समाधान को लेकर कोई भी कार्यवाही नहीं की है। गंगा समग्र यात्रा अभियान की संयोजिका सरोज डिमरी का कहना था कि उन्होंने एक वर्ष से गंगा तटों पर सफाई की मुहिम जारी रखी है लेकिन उसके बावजूद भी लोग गंगा में पॉलिथीन में भरकर पूजा सामग्री फेंक रहे हैं। उन्हें रोका नहीं जा रहा है। इसे रोकने के लिए कानून बनाए जाने की आवश्यकता है।
पॉलिथिन व प्लास्टिक का सामान बेचने वाले रमेश चंद का कहना है कि जब तक पॉलीथिन व प्लास्टिक का सामान बनाने वाली फैक्ट्रियों को प्रतिबंधित नहीं किया जाता, तब तक इस पर रोक लगाया जाना बेमानी साबित होगा। सब्जी विक्रेता मुसाफिर का क्या नाम है कि उनकी मजबूरी है कि वह सब्जी को कागज की थैली में नहीं दे सकते क्योंकि गीली हो जाने पर सारी सब्जियां सड़क पर बिखर जाती हैं। प्रेस क्लब के अध्यक्ष जितेंद्र चमोली का कहना है कि कोर्ट के इस आदेश का उल्लंघन करने वालों पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश कुछ हद तक बिक्री कम करेगा।