प्रदूषण को बढ़ाती प्लास्टिक थैलियां

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ऋषिकेश। तीर्थ नगरी ऋषिकेश में नगर निगम अधिकारियों के सुस्त रवैय्ये की वजह से पॉलीथिन का प्रयोग धड़ल्ले से जारी है। विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा के शुरू होने के बाद पॉलीथिन के प्रयोग में अप्रत्याशित रूप से और इजाफा हुआ है। इसका प्रयोग आम शहरी लोगों की देखादेखी यहां आने वाले श्रद्वालु भी खुलकर कर रहे हैं।
शहर के हर जगह छोटी से बड़ी दुकानों पर धड़ल्ले से पॉलीथिन का प्रयोग हो रहा है और प्रशासन मौन बैठा है। ग्राहकों के हाथ में जूट के थैले नहीं होते, वह भी पॉलीथिन पर निर्भर हो चुके हैं। पॉलीथिन को प्रतिबंधित करने के लिए न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के पालन के लिए उचित कदम न उठाए जाने से हर जगह पॉलीथिन का प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है। छोटी दुकान हो या बड़ी दुकान हर जगह पॉलीथिन का प्रयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है।
वर्षो से पॉलीथिन के प्रयोग को प्रतिबंधित करने के लिए अभियान भी चलाया गया, जिसके चलते दुकानदारों ने डर की वजह से पॉलीथिन रखना भी काफी हद तक कम कर दिया था और वह ग्राहकों से थैला लेकर आने के लिए कहने लगे थे। इस बीच न्यायालय के निर्णय के बाद उम्मीद जगी थी कि यहां पूर्ण रूप से पॉलीथिन का प्रयोग बंद हो जाएगा। लेकिन जमीनी धरातल पर ऐसा कुछ भी होता नजर नही आया है। हांलाकि कुछ दुकानदारों ने पॉलीथिन के विकल्प में जूट मिश्रित सामग्री से बने पॉलीबैग रखना शुरू कर दिये थे, लेकिन विभागीय शिथिलता होते ही फिर से दुकानदार पुराने ढर्रे पर उतर आए हैं।
नगर निगम के अधिशासी अधिकारी महेंद्र सिंह यादव का कहना है कि समय-समय पर नगर पालिका द्वारा पॉलिथीन के बेचने वाले लोग दुकानदारों के खिलाफ जहां अभियान चलाया जा रहा है। साथ ही दुकानदारों को चेतावनी भी दी जा रही है।
वहीं छोटे दुकानदार अभी भी पॉलिथीन में ही सामान दे रहे हैं जिससे इसका प्रभाव कम होता नजर नहीं आ रहा है। उधर कुछ दुकानदारों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पॉलीथिन सस्ती पड़ती है और यह आसानी से फटती नहीं है। जबकि जूट के थैले काफी महंगे होते हैं जो गल जाते हैं। वहीं सब्जी विक्रेताओं का कहना था कि पहले ग्राहकों ने थैला लाना शुरू कर दिया था और जब ग्राहक पॉलीथिन मांगते थे तो वह उन्हें कागज के थैले में सब्जी देते थे जिससे ग्राहकों को भारी मशक्कत करनी पड़ती थी क्योंकि न कागज के थैले को लटकाया जा सकता और जरा भी चूके तो सारी सब्जी सड़क पर बिखरने का डर रहता था। इन सबके बीच कड़वी सच्चाई यह भी है कि निगम अधिकारियों की सुस्त रवैय्ये की वजह से पॉलीथिन का प्रयोग नगर में फिर धड़ल्ले से शुरू हो गया है।