उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी सर्दी में गर्मी दिखाने की तैयारी में है। इसकी झलक वह विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान दिखाना चाहते हैं। इसलिए पहले चरण में पांच दिसम्बर को विधानसभा सत्र के घेराव का कार्यक्रम जारी कर दिया गया है। दरअसल राज्य आंदोलनकारी सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का मामला लटके होने से बेहद नाराज हैं। इसके अलावा, पूरे साल भर में एक भी सत्र गैरसैंण में न कराए जाने ने उनके गुस्से को दोगुना कर दिया है।
सरकारी नौकरी में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण की मांग पर जोर
गैरसैंण में सत्र न करने पर खफा, विधानसभा का करेंगे घेराव
यूं तो चिन्हिकरण, राजकीय सुविधाओं से जुड़ी कई मांगों को लेकर राज्य आंदोलनकारी आवाज उठाते रहे हैं, लेकिन क्षैतिज आरक्षण के मसले पर उनका सबसे ज्यादा जोर है। पूर्ववर्ती सरकार ने इस मांग पर शासनादेश जारी कर दिया था। इस आधार पर कुछ अभ्यर्थियों को नौकरियों में क्षैतिज आरक्षण मिल गया था, लेकिन इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, तो सरकार को नए सिरे से सारी व्यवस्था करनी पड़ी। हरीश रावत सरकार ने इस मामले में विधानसभा से विधेयक पारित कराकर राजभवन भेजा था, जहां से आज तक इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया है। न तो विधेयक लौटाया गया है और न ही इस पर मुहर लगी है। आंदोलनकारी राज्य सरकार से इस मामले में प्रभावी भूमिका निभाने के लिए दबाव बना रहे हैं।
इधर, चार दिसम्बर से शुरू होने जा रहे विधानसभा सत्र के दौरान आंदोलनकारी सरकार को ताकत दिखाने की तैयारी में जुट गए हैं। 2016 के बाद यह पहला मौका है, जबकि पूरे साल भर में कोई्र सत्र गैरसैंण में नहीं हो रहा है। नाराज राज्य आंदोलनकारी पांच दिसंबर को विधानसभा घेरने जा रहे हैं। वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी प्रदीप कुकरेती का कहना है कि सरकार आंदोलनकारी विरोधी है। हर कदम पर उसकी यह सोच सामने आ रही है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दूसरी तरफ, शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि आंदोलनकारियों की मांगों पर सरकार गंभीर है और इन्हें पूरा करने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।