पहाड़ों में पहुंच के लिये अब बिजली के तारों में दौड़ेगा इंटरनेट

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देश भर में केंद्र सरकार के डिजिटल इंडिया की चर्चा है। केंद्र और राज्य सरकारें इंटरनेट के माध्यम से लोगों को जोड़ने और उनके जीवन को आसान बनाने की कवायद में लगी हैं। उत्तराखंड में भी सरकार ने डिजिटल क्रांति को अपनाने के लिये कई कार्यक्रम शुरू किया हैं। लेकिन राज्य की भूगौलिक स्थिति के कारण इसमें सरकार को काफी अड़चने आ रही हैं। लेकिन अब सरकार ने इसका तोड़ निकालने के लिये बिजली के तारों के जरिये दूर दराज के इलाकों में हाई स्पीड इंटरनेट मुहैया कराने की तैयारी की है। इसके लिये पावर काॅपरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) ने राज्यभर में फैले अपने बिजली के तारों के नेटवर्क के जरिये इंटरनेट की सुविधा देने का भी फैसला किया है।

इसके लिये यूपीसीएल अपने नेटवर्क और लगातार इंटरनेट देने वाली निजि कंपनियों के साथ इस प्राॅजेक्ट का खांचा तैयार कर रहा है। अगर इस योजना को अमली जामा पहनाया जाता है तो आने वाले दिनों में पहाड़ों में भी हाई स्पीड इंटरनेट चल सकेगा। उत्तराखंड के अधिक्तर इलाकों में मोबाइल और इंटरनेट कनक्टिविटी के हालात किसी से छुपी नहीं हैं। इस बारे में हाल ही में केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने भी मोबाइल सेवाऐं देने वाली निजि और सरकारी कंपनियों के खिलाफ मोर्चा खोला था। इसके बाद खुद मुख्यमंत्री ने भी टेलिकाॅम क्ंपनियों को हिदायत दी थी कि मौजानी इलाकों में केवलिंग की इजाजत तभी मिलेगी जब कंपनियां पहाड़ों में नेटवर्क सुधारने पर जार देंगी। दुर्गम पहाड़ी इलाके ही नहीं शहर के भी कई इलाकों में मोबाइल औऱ नेट सेवाओं का ख्सताहाल है।

यूपीसीएल इसी का समाधान निकालने के लिये अपने राज्यभर में फैले नेटवर्क का इस्तेमाल करना चाहता है। यूपीसीएल के अधिकारियों का कहना है कि इस तरह बिजली आपूर्ति पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। और इस प्राॅजेक्ट पर तेजी से काम चल रहा है।बहरहाल अगर यूपीसीएल की ये योजना कामयाब होती है तो उत्तराखंड का हर गांव इंटरनेट की सुविधा से जुड़ सकेगा और प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया के सपने को सुबह का सवेरा देखने में और बल मिलेगा।