(देहरादून) सूबे में हुई भारी बारिश से नदियों में बढ़े पानी और सिल्ट का असर अभी कम नहीं हुआ है। सूबे के 13 में से 11 पावर हाउस में बिजली उत्पादन अभी भी ठप है। सिर्फ मनेरी भाली-द्वितीय और कुल्हाल में ही बिजली उत्पादन शुरू हो सका है। वहीं उत्पादन नहीं होने से सूबे में अघोषित बिजली कटौती की गई। इससे उपभोक्ता परेशान रहे।
सूबे में शनिवार की रात और रविवार को जमकर बारिश हुई थी। इससे नदियों का जल स्तर बढ़ गया था। साथ ही सिल्ट की मात्रा भी बढ़ गई थी। सिल्ट आने से टरबाइन की रफ्तार थम गई और बिजली उत्पादन ठप हो गया था। इसका असर यह रहा कि सोमवार को भी दिनभर अधिकांश पावर हाउस में उत्पादन शुरू नहीं हो सका। सिर्फ 304 मेगावाट की मनेरी भाली द्वितीय और 33 मेगावाट की कुल्हाल में उत्पादन शुरू हुआ। जल विद्युत निगम के अधिकारियों का कहना है कि नदियों का जल स्तर कम होने में समय लगेगा।
अनुमान है कि सोमवार की रात तक फ्लड पास हो जाएगा। फिर मंगलवार की सुबह से उत्पादन शुरू हो सकेगा। 41 साल बाद इतना बढ़ा टोंस का जल स्तर टोंस नदी में 1978 के बाद एक बार फिर जल स्तर खतरे के निशान के ऊपर पहुंच गया। इस वजह से टोंस नदी पर बनी जल विद्युत परियोजनाएं 240 मेगावाट की छिबरो और 120 मेगावाट की खोदरी में उत्पादन नहीं हो सका।
इन पावर हाउस में नहीं हुआ उत्पादन
- छिबरो पावर हाउस 240 मेगावाट
- खोदरी परियोजना 120 मेगावाट
- ढालीपुर 51 मेगावाट
- ढकरानी 33.53 मेगावाट
- चीला परियोजना 144 मेगावाट
- खटीमा 41.4 मेगावाट
- टिलोथ 140 मेगावाट
- धरासू 306 मेगावाट
ऊर्जा प्रदेश में 4.5 मिलियन यूनिट बिजली की कमी
ऊर्जा प्रदेश में ऊर्जा का संकट पैदा हो गया है। बिजली विभाग के आंकड़ों के मुताबिक सूबे में सामान्यत: 34 मिलियन यूनिट बिजली (एमयू) की जरूरत है। जबकि इसके सापेक्ष महज 29.5 एमयू बिजली ही उपलब्ध है। ऐसे में प्रदेशभर में अघोषित कटौती की जा रही है। प्रदेश की 13 जल विद्युत परियोजनाओं से करीब 18-19 एमयू बिजली का उत्पादन होता है। इन दिनों भारी बारिश के कारण 13 में से 11 पावर हाउस में बिजली उत्पादन ठप है। इससे महज 12-13 एमयू ही उत्पादन हो पा रहा है। 6-7 एमयू की कमी हो रही है। जबकि, रोजाना की जरूरत 34 एमयू की होती है। ऐसे में सेंट्रल ग्रिड से बिजली की आपूर्ति का प्रयास किया जा रहा है। अन्य राज्यों से भी बिजली ली जा रही है। इसके बाद भी कुल 29.5 एमयू बिजली ही उपलब्ध है। ऐसे में औद्योगिक क्षेत्र, शहर, गांवों में अघोषित कटौती करनी पड़ रही है।
एके सिंह (मुख्य अभियंता, ऊर्जा निगम) का कहना है कि सेंट्रल ग्रिड से बिजली लेकर आपूर्ति की जा रही है। जल विद्युत परियोजनाएं में उत्पादन ठप होने से समस्या पेश आ रही है। इस कमी को अलग-अलग क्षेत्र इंडस्ट्रियल एरिया, टाउन, सब टाउन आदि में रोस्टिंग की जा रही है।