प्रयागराज। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा और श्री पंच अग्नि अखाड़े की पेशवाई के साथ तीर्थराज प्रयाग में मंगलवार को कुम्भ मेले की अनौपचारिक शुरुआत हो गई है। दोनों अखाड़ों के पचास से अधिक महामंडलेश्वर शाही सवारी के साथ संगम की रेती पर बने अपनी छावनियों में पहुंच गये, जहां कुम्भ प्रशासन से जुड़े अधिकारियों ने उनका स्वागत किया।
अखाड़ों की पेशवाई यमुना तट स्थित मौज गिरि आश्रम से पूर्वाह्न करीब 11 बजे प्रारम्भ हुई। शाही प्रवेश की शोभा यात्रा में सबसे आगे जूना अखाड़े के आराध्य देव भगवान दत्तात्रेय सोने के हौदे में सवार थे। इसके बाद नागा संन्यासियों की टोली थी। फिर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद और काशी सुमेरु पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री नरेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज के रथ चल रहे थे।
इसके बाद गोकर्ण पीठाधीश्वर लक्ष्मणपुरी जी महाराज, जगद्गुरु स्वामी पंचानंद गिरी जी महाराज और अग्नि अखाड़ा के महामंडलेश्वर कैलाशानंद ब्रह्मचारी समेत सभी महामंडलेश्वरों की सवारियां शाही यात्रा में शामिल थी।
शोभा यात्रा में ध्वजा-पताका लेकर संतों का हुजूम निकला। तमाम संत हांथी, घोड़ा और ऊंट पर भी सवार थे। दर्जनों बैंड पार्टियों द्वारा धार्मिक संदेश वाले धुन के बीच दोनों प्रमुख अखाड़ों की शोभा यात्रा पेशवाई मार्ग से संगम की ओर धीरे-धीरे बढ़ रही थी। इस दौरान नागा संन्यासी तलवार और भाला से अपने युद्ध कौशल का भी प्रदर्शन कर रहे थे, जो देखते ही बनता था। अखाड़ों के शाही प्रवेश की शोभा यात्रा दिन भर लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा। जिन मार्गों से पेशवाई गुजर रही थी, शहर के लोग फूलों की वर्षा भी कर रहे थे। चारों तरफ धर्म की जयकारों और हर-हर महादेव के नारे गुंजायमान थे। पेशवाई मे शामिल संतों की एक झलक पाने को भक्त आतुर थे। पेशवाई की इस शोभा यात्रा का नेतृत्व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि और महामंत्री महंत हरि गिरि समेत कई वरिष्ठ सन्त कर रहे थे।
रास्ते में जुटे हजारों श्रद्धालु अखाड़े के साधु-संतों का माला पहनाकर स्वागत कर रहे थे। संतों की शाही सवारियां जैसे ही संगम के नजदीक पहुंची मंडलायुक्त डा0 आशीष कुमार गोयल, कुम्भ मेलाधिकारी विजय किरण आनंद और उप पुलिस महानिरीक्षक कुम्भ केपी सिंह ने सभी महामंडलेश्वरों का माला पहनाकर स्वागत किया।
तीर्थराज प्रयाग में 15 जनवरी से चार मार्च तक कुम्भ का आयोजन है। अखाड़े कुम्भ मेले में आकर्षण के मुख्य केंद्र होते हैं। मेला क्षेत्र में इनका शाही अंदाज में प्रवेश और मेले के दौरान इनके शाही स्नान को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
ये अखाड़े कुम्भ प्रारम्भ होने से पहले मेला क्षेत्र में जब शाही अंदाज में प्रवेश करते हैं, तो उसे पेशवाई या शाही प्रवेश कहा जाता है। पेशवाई का यह सिलसिला दो प्रमुख अखाड़ों के प्रवेश के साथ आज प्रारम्भ हो गया। तेरह जनवरी तक सभी 13 अखाड़े कुम्भ मेला क्षेत्र में प्रवेश कर जायेंगे।
पूरे कुम्भ के दौरान कई स्नान पर्व होते हैं, जिनमें अखाड़ों के तीन शाही स्नान भी होते हैं। ये क्रमशः 15 जनवरी (मकर संक्रांति), चार फरवरी (मौनी अमावस्या) और 10 फरवरी (बसंत पंचमी) को हैं।
कुम्भ के आयोजन को लेकर तैयारियां अंतिम दौर में हैं। 3200 हेक्टेअर में बसाया गया पूरा मेला क्षेत्र 20 सेक्टर में विभाजित है। सुरक्षा की दृष्टि से मेला क्षेत्र में 40 थाने बनाये गये हैं। इस बार कुम्भ के दौरान श्रद्धालुओं को किले के अंदर घिरे हुए अक्षयवट के भी दर्शन होंगे। इसके लिए सेना और प्रशासन द्वारा तैयारियां की जा रही हैं।