30 जून-01 जुलाई की मध्यरात्रि को हुए जीएसटी लॉन्च कार्यक्रम में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने खुद के योगदान को सदन के सामने रखा। अपने उद्बोधन में राष्ट्रपति मुखर्जी कांग्रेस नीत यूपीए सरकार का जिक्र करना नहीं भूले। राष्ट्रपति ने अपने भाषण में कांग्रेसनीत यूपीए सरकार के दौरान खुद के वित्तमंत्री रहते हुए जीएसटी को लेकर कार्यों का जिक्र किया।
मुखर्जी ने बताया कि उन्होंने वित्तमंत्री रहते हुए साल 2006-07 के बजट भाषण में जीएसटी को लेकर बात की थी। उनके मार्गदर्शन में ही साल 2009 में एक कमेटी ने जीएसटी पर काम शुरू किया था, और वित्तमंत्री के रूप में उन्होंने ही संसद में इससे जुड़े विधेयक को पेश किया था। राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि उन्होंने एक राष्ट्रपति के रूप में जीएसटी के बिल को मंजूरी दी थी।
कार्यक्रम की शुरूआत केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपने उद्बबोधन से की। जेटली ने कहा कि जीएसटी की यात्रा डेढ़ दशक लंबी रही। देश में टैक्स में एकरूपता लाने के लिए एक टैक्स, एक राष्ट्र की परिकल्पना सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय रखी गई। प्रख्यात अर्थशास्त्री विजय केलकर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया, जिसने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी को जीएसटी के बारे में सुझाव दिए। उसके बाद यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता में संसदीय स्थायी समिति ने जीएसटी काउंसिल के गठन सहित जीएसटी को एक कोआपरेटिव फेडरलिस्म के रूप में अपनाने का सुझाव दिया। जेटली ने खुलासा किया कि जीएसटी काउंसिल की 18 बैठकों में एक बार भी ऐसा नहीं हुआ, जब किसी विषय पर असहमति बनी हो। हर निर्णय सर्वसम्मति से, एकमत होकर लिए गए। जिसके चलते 24 रेगुलेशन बनाए जा सके। 1211 वस्तुओं पर जीएसटी दर तय की जा सकी। 17 ट्रॉन्सेक्शन टैक्स और 23 सेस खत्म किए जा सके।