माया पर कांग्रेस के अलावा सपा से दूरी बनाने का दबाव

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नई दिल्ली। आयकर विभाग ने जब बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती के भाई आनन्द को आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में बुलाकर पूछताछ के लिए रोक लिया था, तो डरी मायावती ने म.प्र., राजस्थान व छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस के साथ तालमेल नहीं करने की बात कह छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ने की घोषणा की थीं। मायावती के मुख्यमंत्री रहने के दौरान उ.प्र. का मुख्य सचिव रहे नेतराम के यहां करोड़ों रुपये के धोखाधड़ी व टैक्स चोरी मामले में आयकर विभाग ने 12 मार्च को उनके ( नेतराम) दिल्ली, लखनऊ के 12 ठिकानों पर छापा मारा तो बसपा सुप्रीमो ने कहा कि उ.प्र. में ही नहीं, पूरे देश में कहीं भी कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेंगी। इस बारे में उ.प्र. में मुलायम, मायावती राज के समय से चले आ रहे कई हजार करोड़ रुपये के खाद्यान्न घोटाला मामले में इलाहाबाद हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले और मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव व अन्य कई पर आय से अधिक सम्पत्ति मामले में सर्वोच्च न्यायालय में केस करने वाले सर्वोच्च न्यायालय के वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी का कहना है, ’12 मार्च को नेतराम के यहां जो 12 जगहों पर आयकर के छापे मारे गये हैं वह सपा-बसपा गठबंधन तोड़वाने, दोनों को अलग करने की कवायद है। चार माह पहले हुए छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश व राजस्थान विधानसभा चुनाव के समय आयकर विभाग ने जब मायावती के भाई आनंद को तीन दिनों तक बैठाया, तो मायावती ने कांग्रेस से अलग हुए अजीत जोगी के साथ गठबंधन किया। यह कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने के लिए कराया गया। अब लोकसभा चुनाव में सपा- बसपा के गठबंधन से उ.प्र. में संभावित लगभग 45 लोकसभा सीटों पर भाजपा को हो रहे नुकसान को रोकने के लिए, इस गठबंधन को तोड़ने के लिए डराने व दबाब बनाने हेतु मायावती के अति विश्वास पात्र रहे नौकरशाह नेतराम के यहां आयकर का छापा डलवाया गया है। मायावती जब 2007 से 2012 तक मुख्यमंत्री रहीं, उस दौरान नेतराम उनके अति विश्वासपात्र अफसर व राज्य के मुख्य सचिव थे। माया दरबार में वह नसीमुद्दीन सिद्दिकी से भी पावरफुल थे। सूत्र बताते हैं कि माया का हिसाब-किताब वही रखते थे। इसलिए लोकसभा चुनाव की घोषणा के तीसरे दिन उनके यहां बड़े स्तर पर आयकर का छापा पड़ना, बसपा के संसाधन के श्रोत को सुखाने की तरह है। यही वजह है कि बसपा ने कांग्रेस से लोकसभा चुनाव में कहीं भी तालमेल नहीं करने की बात कही है। लेकिन जब तक वह सपा से अलग होकर अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा नहीं करेंगी, केन्द्रीय एजेंसियों की कार्रवाई रूकने वाली नहीं है। सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव के दौरान ही मायावती के भाई आनंद के विरूद्ध आकर व प्रवर्तन निदेशालय की भी कार्रवाई हो सकती है। इस बारे में बसपा मेरठ मंडल के प्रभारी ईश्वर का कहना है कि चुनाव के मद्देनजर प्रमुख विपक्षी दलों को, विशेषकर उ.प्र. में, परेशान करने के लिए सत्ताधारी दल तरह-तरह के हथकंडे अपना रहा है, ताकि विपक्षी दलों के नेता डर कर गठबंधन नहीं करने पाएं। इस बारे में सपा सांसद रवि वर्मा का कहना है कि सपा व बसपा के गठबंधन से केन्द्र व राज्य की सत्ताधारी पार्टी बहुत ही परेशान है। उसको लोकसभा चुनाव में उ.प्र. में बहुत नुकसान होने का भय हो गया है। सो सपा – बसपा गठबंधन तोड़ने के लिए, अन्य किसी पार्टी से गठबंधन नहीं करने देने के लिए, उनके नेताओं को डराने, परेशान करने के लिए हर हथकंडा अपना रही है। बीते चार माह से सपा व बसपा नेताओं, उनके समर्थकों के विरूद्ध जो भी कार्रवाई हो रही है, इसी उद्देश्य से की जा रही है।