(देहरादून) उत्तराखंड में दिन पर दिन हो रही हड़तालों में अब एक और अध्याय जुड़ने जा रहा है। आदर्श विद्यालयों को पीपीपी मोड पर देने के सरकार के निर्णय, शिक्षकों से जबरन ब्रिज कोर्स की बाध्यता समाप्त करने, बीआरसी सीआरसी प्रकरण, छात्रवृत्ति आवेदनों की आॅनलाइन जिम्मेदारी शिक्षकों पर थोपने का प्रथतिक शिक्षक संघ ने कड़ा विरोध किया है। संघ ने शिक्षकों के साथ ही अधिकारियों की भी एसआईटी जांच कराए जाने की मांग की है। साथ ही प्राथमिक विद्यालयों में जल्द मानकानुसार शिक्षकों की तैनाती करने की मांग भी संघ ने सरकार से की है। मांगे पूरी न होने पर संघ ने आंदोलन की चेतावनी भी दी है।
संघ का कहना है कि प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार अपनाया जा रहा है।
- प्रशिक्षित शिक्षकों से जबरन ब्रिज कोर्स अथवा डीएलएड की बाध्यता पर भी असंतोष है।
- प्रदेश में सीमेट, निदेशालयों, एसएसए आदि में शिक्षकों को नहीं रखा जाता है तो संघ इसे स्वीकार करेगा, लेकिन मात्र सीआरसी को हटाया जाता है तो यह स्वीकार्य नहीं होगा।
- आदर्श विद्यालयों को पीपीपी मोड पर दिए जाने का भी पुरजोर विरोध किया है।
- समाज कल्याण छात्रवृत्ति आवेदन पत्रों को ऑनलाइन करने की जिम्मेदारी शिक्षकों पर थोपने का भी संघ ने विरोध किया।
शिक्षकों की एसआईटी जांच पर शिक्षकों का कहना था कि जांच का स्वागत है, लेकिन मात्र प्राथमिक शिक्षकों को अपमानित किया जा रहा है। संघ ने सरकार से मांग की कि विभाग के अधिकारी व कार्मिकों के प्रमाणपत्रों की एसआईटी जांच भी की जानी चाहिए। फर्जी नियुक्तियों के खिलाफ जिम्मेदार अधिकारियों को दंडित किया जाना चाहिए।
बहरहाल शिक्षकों की मांगों की लिस्ट और उनके तेवर देखकर ये तो कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में शिक्षा के क्षेत्र में सरकार और शिक्षकों के बीच टकराव तय है। लेकिन ये भी तय है कि अगर ऐसा होता है तो इसका सबसे ज्यादा खामियाज़ा छात्रों को भरना पड़ेगा।