वैश्विक महामारी कोविड-19 की दूसरी गंभीर लहर को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय के गत सात मई को पारित आदेशों के अनुक्रम में उत्तराखंड की हाई पावर कमेटी ने राज्य के कारागारों में निरुद्ध कैदियों को पुनः 90 दिन के पैरोल पर रिहा करने के आदेश जारी किए हैं। यह आदेश विशेषतः उन कैदियों पर लागू होंगे, जिन्हें पिछले वर्ष कोविड-19 महामारी के दौरान भी पेरोल पर रिहा किया गया था।
उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य-सचिव एवं जिला जज आरके खुल्बे ने बताया कि यह निर्णय कारागारों में निरुद्ध कैदियों में कोरोना महामारी के संक्रमण का खतरा न हो सके, इसके लिए लिया गया है। उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में उत्तराखण्ड राज्य में पूर्व में गठित व वर्तमान में अस्तित्व में मौजूद हाई पावर कमेटी संचालित है। इस कमेटी के पदेन अध्यक्ष उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी तथा इसके पदेन सदस्य के रूप में उत्तराखंड राज्य के प्रमुख सचिव, गृह-कारागार एवं उत्तराखंड राज्य के महानिदेशक कारागार हैं।
कमेटी ने राज्य के सभी डीएम एवं एसएसपी को भी निर्देश दिए हैं कि वह इस आदेश के अनुक्रम में पेरोल पर रिहा होने वाले कैदियों को कारागार से उनके संबंधित स्थानों तक कोविड-19 के नियमों एवं दिशा-निर्देशों का अनुपालन करते हुए पहुंचाने के लिए उचित कार्यवाही करें। साथ ही महानिदेशक, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, उत्तराखंड सहित राज्य के सभी जिलों के मुख्य चिकित्साधिकारी पेरोल पर रिहा होने वाले कैदियों की रिहाई से पूर्व कोविड-19 नियमों के अनुरूप आवश्यक चिकित्सीय जांच, विशेषकर कोरोना जांच करा लें।