प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और चकराता विधायक प्रीतम सिंह ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को सरकार के 100 दिन पूरे होने पर पत्र लिखकर भाजपा के चुनावी दृष्टि पत्र की याद दिलाई है। उन्होंने दृष्टि पत्र में किए गए वायदों के मुताबिक किसानों के कृषि ऋण माफ करने और उन्हें आधे दामों पर बिजली मुहैया कराने की मांग की है।
पत्र में चिंता जताते हुए कहा गया कि आज सबसे अधिक उपेक्षा अन्नदाता की हो रही है। उत्पाद का उचित मूल्य न मिलने, समय पर खाद-बीज न मिलने तथा बिजली व सिंचाई सुविधा की परेशानी के कारण किसान लगातार कर्ज के बोझ से दबता जा रहा है। फसल का उचित मूल्य न मिलने से किसान बैंकों का कर्जा नहीं लौटा पा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि देशभर में आंदोलनरत किसान अपेक्षा कर रहे हैं कि केंद्र सरकार उनकी समस्याओं का निदान करेगी, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया है। किसानों की आत्महत्या से अभी तक अछूती देवभूमि उत्तराखंड को भी बीती 16 जून को शर्मसार होना पड़ा है। देवभूमि में किसानों की आत्महत्या का सिलसिला आगे न बढ़े, इसके लिए राज्य सरकार को यथाशीघ्र समाधान तलाश करना होगा।
पत्र में कहा गया कि पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों की किसानों की अलग-अलग समस्याएं हैं। उनका अलग-अलग समाधान होना चाहिए। उन्होंने उत्तरप्रदेश एवं पंजाब की तरह उत्तराखंड में भी किसानों का ऋण माफ करने, कृषि कार्य के लिए बिजली आधे दामों पर उपलब्ध कराने, फसलों का समर्थन मूल्य घोषित कर लागत से डेढ़ गुना दाम पर किसानों के उत्पाद खरीदने, किसानों को ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराने, गन्ना किसानों का बकाया भुगतान करने, मृतक किसान सुरेंद्र सिंह के परिवार को एक करोड़ रुपये मुआवजा देने की मांग की।
उधर कांग्रेस पूर्व सैनिक विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सेवानिवृत्त कैप्टन बलवीर सिंह रावत ने पूर्व सैनिक महेंद्र सिंह रावत के आत्महत्या करने को दुखद करार दिया है। उन्होंने कहा कि जिलों में जिलाधिकारी और सैनिक कल्याण अधिकारी पूर्व सैनिकों व उनके परिवारों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता से नहीं कर रहे हैं। राजस्व विभाग महेंद्र सिंह की म्यूटेशन संबंधी समस्या का समाधान करता तो उन्हें आत्महत्या को विवश न होना पड़ता। उन्होंने कहा कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाही नहीं हुई तो पूर्व सैनिक सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे।