कोटद्वार। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियनस के बैनर तले नगर के विभिन्न बैंकों से जुड़े कर्मियों ने अपनी मांग को लेकर गुरूवार को दूसरे दिन भी स्टेट बैंक के समक्ष प्रदर्शन किया। दूसरे दिन भी हड़ताल जारी रहने से जहां बैकिंग कार्य ठप्प रहे, वहीं एटीएमों पर भी कई जगहों कैश की किल्लत दिखी।
नगर के विभिन्न बैंकों से जुड़े कर्मी और अधिकारी देवीरोड़ स्थित स्टेट बैंक के मुख्य शाखा में एकत्र हुए जहां उन्होंने केंद्र सरकार एवं आईबीए द्वारा बैंक कर्मियों एवं अधिकारियों के वेतन में मात्र दो फीसदी के वृद्धि के प्रस्ताव पर नाराजगी जताते हुए आईबीए के अडियल रवैए के खिलाफ नारेबाजी करते हुए धरना प्रदर्शन किया। इस मौके पर हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने सांसद के वेतन तो 200 फीसदी तक बढ़ा दिए, लेकिन जब बैंक कर्मियों को देने की बात आई तो मात्र दो फीसदी की वृद्धि की, जो कि ईंट के मुंह में जीरा है।बैंको के बड़े लोन, डिफाल्टर उद्योगपतियों के नाम सार्वजनिक किए जाएं तथा उनसे बैंकों का पैसा वसूलने के लिए ठोस कानून बनाया जाए, ताकि इन बड़े पहुंच वाले उद्योगपतियों से बैंक आसानी से अपना ऋण वसूल कर सके। लेकिन आज तक यह नहीं हो पाया है। इसके परिणाम स्वरूप बैंकों का एनपीए पिछले तीन सालों में चार गुना बढ़ गया है। इनके समायोजन के लिए बैंकों के लाभ से पैसा जमा किया जाना है। जिसके कारण बैंकिंग कार्य पर बुरा असर पड़ रहा है। जिसका खामियाजा आज बैंक कर्मियों को भुगतना पड़ रहा है। कहा कि सरकारी बैंक कर्मियों पर काम बोझ एवं तमाम जवाबदारियां थोप दी गई है तथा वेतन वृद्धि के नाम मात्र दो फीसदी की वृद्धि की गई है। इस मौके पर एक स्वर में सेवा शर्तो में सुधार, पेंशन, पुनरीक्षण, के साथ-साथ करने, बैंक कर्मियों के पारिवारिक पेंशन अन्य सरकारी विभागों के कर्मियों की तरह 30 फीसदी करने की मांग की गई। साथ ही मांगों पर अविलंब कार्यवाही न होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी गई। इस मौके पर उत्तरांचल बैंक इंप्लाइज यूनियन के जिला सचिव वीरेंद्र सिंह रावत, यूएफबीयू के नगर संयोजक डीपीएस बिष्ट, रचित रावत, करेस कुमार, मनवर सिंह, सुरेंद्र लाल आर्य आदि ने विचार रखे। इस मौके पर नगर के सभी बैंकों के कर्मी मौजूद रहे। बैंकों की दूसरे दिन भी हड़ताल जारी रहने से कई एटीएमों में पैसा नहीं निकला। तपती धूप में लोग इस आस के साथ एटीएम पहुंचे कि उन्हें कैश मिल जाएगा, लेकिन कई एटीएमों में कैश की किल्लत नजर आई, जिससे लोगों को वापस बैरंग लौटने को मजबूर होना पड़ा।