रेलवे अतिक्रमण याचिका स्टे

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उच्च न्यायालय नैनीताल में एकलपीठ ने आज सुप्रीम कोर्ट के बाद रेलवे भूमि के अतिक्रमणकारियों को राहत दी है। न्यायालय ने रेलवे के नोटिस को अवैध मानते हुए सरकार और रेलवे से जवाब माँगा है। न्यायलय से हल्द्वानी की मदरसा गुसाईं ख्वाजा गरीब नवाज रामतुल्ला समिति की तरफ से इदरीश अंसारी ने 16 जनवरी को याचिका दाखिल कर कहा था कि रेलवे के नोटिस का कोई औचित्य नहीं हैं।  उन्होंने कहा कि इसे व्यक्तिगत ना देकर सामूहिक चस्पा कर दिया गया था जो गलत है।
न्यायमूर्ति वी.के.बिष्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए रेलवे के इस नोटिस पर रोक लगते हुए तबतक रेलवे और उत्तराखण्ड सरकार को जवाब देने को कहा है । न्यायालय ने अगली सुनवाई 27 फरवरी को रख दी है। बता दें कि रेलवे ने न्यायालय से कहा है कि गौला नदी की तरफ से 70 फ़ीट और बस्ति की तरफ को 45 फ़ीट भूमि रेलवे की है । रेलवे के इस दावे पर भी एक याचिका दाखिल की गई है जिसमें पुछा गया है कि क्या ये जमीन रेलवे की है ? हाई कोर्ट की इस रोक से पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के पूर्व के रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने के आदेश पर 18 जनवरी 2017 को रोक लगा दी थी । आज न्यायालय में याची ने कहा कि 29 एकड़ भूमि में केवल पब्लिक नोटिस चस्पा किये गए हैं । इससे लगभग 50 हजार लोग प्रभावित होने की सम्भावना थी । जिसपर कोर्ट ने रेलवे के आदेश पर रोक लगा दी है।