राजाजी टाइगर रिजर्व के सभी गेट पांच माह की वार्षिक बंदी के बाद 15 नवंबर को पर्यटको के लिए खोल दिए गए थे। पार्क कर्मियों का बीते 22 दिनों का अनुभव बहुत अच्छा रहा है, क्योंकि इस बीच आने वाले पर्यटकों को कई बार बाघ के दर्शन हुए हैं। आज भी यहां पहुंचने वाले पर्यटको को एक बार फिर टाइगर देखने को मिला।
पार्क की चीला रेंज में पर्यटक जब मुंढाल क्षेत्र से गुजर रहे थे उसी दौरान उन्हें बाघ नजर आया। इससे पर्यटक बेहद रोमांचित नजर आये। गौरतलब है की चीला रेंज प्रोजेक्ट एलिफैंट के लिए भी जानी जाती है। इसे हाथियों का घर भी कहा जाता है। मगर बीते कुछ वर्षो में यहां बाघो का कुनबा भी तेजी से बढा है। पार्क कर्मियों को उम्मीद है कि इस पर्यटन सीजन में अन्य पर्यटक भी बाघो का दीदार कर सकेंगे।
इस बीच बाघ अपना कुनबा व दायरा भी बढा रहे हैं। बाघ अब चील व मोतीचूर से निकलकर हरिद्वार वन प्रभाग की विभिन्न रेंजो में भी दस्तक देने लगे है। इस वर्ष इनकी आमद चिड़ियापुर रेंज में देखी जा रही है। इस क्षेत्र में मौजूद विश्व विख्यात झिलमिल झील के पर्यटक ट्रैक व आसपास के इलाकों में बाघो की चहल कदमी पर्यावरण के लिहाज से बेहतर संकेत है। यह क्षेत्र लुप्तप्राय बारहसिंघो के संरक्षण को लेकर विख्यात है, उम्मीद है कि यहां भी बाघो की दहाड़ स्थाई रूप से सुनाई देगी। चिड़ियापुर के रेंज अधिकारी हरीश गैरोला का कहना है कि झिलमिल झील ट्रेक पर भी टाइगर की साइटिंग हो रही है, ये टाइगर राजाजी टाइगर रिजर्व से झिलमिल झील पहुंचते हैं, इसको लेकर सुरक्षा के मद्देनज़र निगरानी बढ़ा दी गई है।