रामलीला महोत्सव 2018 दस अक्टूबर से

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देहरादून। उत्तराखंड की सबसे प्राचीन रामलीला श्री रामलीला कला समिति का यह 150वां साल है। समिति की ओर से इस आयोजन को दिव्य और भव्य बनाने के लिए विशेष प्रयास किया जा रहा है। 1868 में इस रामलीला का प्रारम्भ हुआ था।
यह रामलीला भक्त जमुना दास ने श्री गुरुराम राय दरबार के छठे मंहत नारायण दास के संरक्षण में प्रारम्भ किया था। तभी से इस रामलीला को श्री गुरुरामराय दरबार के समस्त गद्दीनशीन मंहतों का संरक्षण प्राप्त था। वर्तमान में मंहत देवेंन्द्र दास महाराज सज्जादे गद्दीनशीन का संरक्षण प्राप्त है जो समिति के मुख्य संरक्षक है। यह जानकरी मंगलवार को रामलीला भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में समिति के मुख्य संयोजक एवं संरक्षक मंडल के महासचिव सोम प्रकाश शर्मा, संरक्षक अध्यक्ष रविन्द्रनाथ मांगलिक, अध्यक्ष राकेश स्वरूप महेंन्द्रु ने दी।
रामलीला भवन में आयोजित इस रामलीला महोत्सव 2018 का प्रारम्भ बुधवार दस अक्टूबर रात नौ बजे से होगा। जिसका लोकापर्ण स्थानीय विधायक खजानदास करेंगे। इससे पूर्व सुन्दर कांड का पाठ आयोजित किया जएगा जिसके माध्यम से विधिवत कार्यक्रम का आयोजन होगा। रामलीला का समापन 22 अक्टूबर को भागवान राम के राज्याअभिषेक से होगा। अगले दिन नगर निगम टाउन हाल में भव्य रासलीला आयोजित होगी। इन सभी आयोजनों का मंचन वृन्दावन के स्वामी रामसरण महाराज के निर्देशन में 25 कलाकारों की टीम करेगी। समिति द्वारा 13 अक्टूबर को भव्य शोभायात्रा का आयोजन शिवाजी धर्मशाला से किया जाएगा। समिति कि ओर से विजय दशमी के अवसर पर लंका दहन लीला आयोजित ​की जाएगी जो श्री गुरुरामराय दरबार के तालाब में की जाएगी, इस लंका का निमार्ण करने के लिए काशीपुर के गणेश थापा एक सप्ताह पूर्व अपने साथी कलाकरों के साथ देहरादून पहुंचेगें। सोने की झलक लिए हुए यह लंका 25 फिट लंबी और 18 फिट चौड़ी तीन मंजिला बनेगी। श्री रामलीला कला समिति द्वारा रावण का पु​तला दहन नहीं किया जाता इस अवसर पर लंका जलाई जाती है। जो अपने आप में विशेष है। पत्रकार वार्ता में अरविन्द गोयल, सोभित मांगलिक, अवधेश पंत, ललित मोहन शर्मा, दयाल चंद गुप्ता, धन प्रकाश गोयल आदि उपस्थित थे।