नैनीताल/लालकुआं। भटके हुए हैं दर बदर कभी इस डगर कभी उस डगर। यह लाइन पूरी तरह सटीक बैठ रही है। हल्दूचौड़ में सड़क किनारे खुले में रह रहे गाडिया लोहार समाज के वाशिदों पर।नेशनल हाइवे के चौड़ीकरण होने पर इन्हें यहां से हटना पड़ेगा। यह चिंता इन्हें परेशान कर रही। है। गाड़िया लोहार समाज का गौरव शाली इतिहास है यह समाज राणा सैनिकों का वंशज है। इन्के पूर्वज राणा प्रताप के सैनिक रहे है।
मेवाड़ को मुगलों के कब्जे से मुक्त कराने की आन को लेकर इन्होने जंगल में जीवन यापन कर युद्ध की तैयारी की। शस्त्र बनाने में निपुण यह समाज मुगलों से बचते हुए बैलगाड़ी हांकते हुए इधर उधर भटकता रहा जिसके चलते इन्हें गाडिया लोहार कहा जाने लगा।
ह्ल्दूचौड़ में रह रहे समाज के मुखिया लाखन सिंह सांकला बताते हैं कि इस समाज के लोग उत्तराखंड के अलावा यूपी राजस्थान हरियाणा गुजरात पंजाब हिमांचल महाराष्ट तेलंगाना समेत 15 राज्यों में है। लेकिन मेवाड़ को मुगलों से मुक्त कराने में असफल रहने पर यह समाज अपनी आन के अनुसार आज भी पक्के भवन नही बनाता है और जमीन पर ही सोता है। लाखन लोहार ने कहा कि राणा की बहादुरी से इतिहास के पन्ने भरे है। लेकिन राणा सैनिकों के वंशजों की मौजूदा हालात पर कोई गौर नही करता। उनका कहना है कि उन्हें कहीं अन्य बसाने की व्यवस्था की जाए। ताकि वे अपना पारंपरिक काम करते हुए अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें।