हत्या से पहले मासूम से किया था कुकर्म

0
754

रुद्रपुर के ट्रांजिट केम्प में 6 साल के मासूम अंश का पहले अपहरण किया गया और फिर उसके साथ एक युवक ने दरिंदगी का घिनौना खेल खेला। इस खेल का कहीं भंडाफोड़ न हो जाए तो आरोपी ने गला घोंट कर दिव्यांग अंश को मौत के घाट उतार दिया।

इंतहा तब हो गई जब पूरा इलाका लापता दिव्यांग को गली-गली तलाशता रहा और आरोपी उसकी लाश पर सुकून की नींद सोता रहा। इस घिनौने कृत्य में आरोपी के परिवार ने भी आरोपी का पूरा-पूरा साथ दिया, लेकिन अब सब पुलिस की हिरासत में हैं और पुलिस ने सभी आरोपियों को उनकी जगह यानि सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। आज सभी का मेडिकल करा कर पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश किया। महज 6 साल का दिव्यांग बच्चा अपने माता-पिता का नाम भी नहीं ले पाता था।

बीती 19 फरवरी को बच्चा अपनी मां के साथ छत पर खेल रहा था। तभी मां दूध लेने के लिए बच्चे को छत पर छोड़ कर नीचे चली गई, लेकिन दस मिनट बाद जब वह छत पर लौटी तो उसके होश फाख्ता हो गए, बेटा छत से नदारद था। उसने छत से नीचे झांक कर देखा और आस-पास खोज की। जब बच्चा नहीं मिला तो उसने अपने पति को इस बात की जानकारी दी। सारा काम छोड़ कर पति भी मौके पर जा पहुंचा। दोपहर गुजर गई और जब बच्चे का पता नहीं चला तो गुम होने की खबर इलाके में आग की तरह फैल गई। पूरे इलाके के लोग बच्चे की तलाश में जुट गए, लेकिन लापता बच्चे का पड़ोसी पप्पू और पप्पू के परिवार पर इसका कोई फर्क नहीं था। हाल तो यह था कि वह एक बार पीड़ित मां और उसके पिता की खैर खबर लेने तक नहीं आए। चूंकि दोनों परिवारों की छत जुड़ी थी और पड़ोसी का व्यवहार देख कर उन पर शक होना लाजिमी था। पड़ोसी पप्पू के बेटे हर्ष स्वरूप ने ही उसे छत से अगवा किया था और फिर अपने कमरे में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। दुष्कर्म के बाद मासूम को गला घोंट कर मौत के घाट उतार दिया। इधर, जब पड़ोसी पर शक गहरा होने लगा तो उसने मासूम की लाश को ठिकाने लगाने की कोशिश की। एक और षडय़ंत्र रचा गया और इस षडय़ंत्र के तहत बच्चे की लाश को उसी की छत पर रखी पानी की टंकी में फेंकना था। मासूम के लापता होने से बेचैन परिवार को नींद नहीं आ रही थी। रात करीब एक बजे परिजनों को छत पर किसी के कूदने की आहट हुई। वह आनन-फानन में छत पर पहुंचे तो देखा कि हर स्वरूप उनकी टंकी में झांक रहा है। घरवालों ने उसे धर दबोचा और पुलिस को खबर कर दी।

पुलिसिया पूछताछ में आरोपी हर स्वरूप टूट गया और उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया। जिसके बाद पुलिस ने आरोपी के घर से चारपाई के नीचे रखी मासूम की नग्न लाश बरामद कर ली। आरोपी और आरोपी का पूरा परिवार उसी चारपाई पर तीन दिनों तक सोता रहा। जिसके बाद पुलिस ने हर स्वरूप के साथ उसके पिता पप्पू, भाई पवन और मां रुपवती को हिरासत में ले लिया। पुलिस ने सभी का मेडिकल कराने के बाद कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।

जब पूरा इलाका मासूम दिव्यांग को गली-गली तलाश कर रहा था तब पड़ोसी पप्पू का परिवार और पप्पू का आरोपी बेटी हर्ष स्वरूप चुपचाप अपने घर में बैठे थे। उसे तलाश करने के लिए एक बार पीडि़त परिवार उनके घर भी पहुंचा, लेकिन वह बड़ी ही बेरुखी से पीडि़त परिवार से पेश आए। अब तक लाश को घर में रखे तीन दिन गुजर चुके थे और अंदेशा था कि लाश से बदबू उठने लगेगी। जिसके बाद उनका भांडा फूट जाएगा। लगातार इलाके में हलचल की वजह से आरोपी लाश को घर से बाहर भी नहीं निकाल पाए। ऐसे में लाश को पीडि़त परिवार के छत पर लगी पानी की टंकी में ही डालने का एक और षडय़ंत्र रचा गया। ताकि यह साबित किया जा सके कि बच्चा खेलते हुए पानी की टंकी में गिर गया होगा। हालांकि वह अपनी योजना में कामयाब नहीं हो सका और जब रात छत पर कूदा तो इसकी आहट पीडि़त परिवार को लग गई।