रावत ने मोदी को थमाया शिकायतों-सुझावों का पुलिंदा

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प्रधानमंत्री मोदी को ज्ञापन देते हरीश रावत

मोदी को अपने राज्य में आते देख मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उनके सामने अलग अलग मसलों पर अपनी माँगे व शिकायतें रख दी। इस ज्ञापन में ढेर सारी माँगें रखी गई हैं। नोटबंदी से राज्य की आम जनता को हो रही परेशानी व अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे प्रभावों के संबंध में सौंपे गये ज्ञापन में मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि

  • उत्तराखण्ड एक छोटा पर्वतीय राज्य है तथा इसके अधिकतर क्षेत्र दूरस्थ एवं पर्वतीय है। उत्तराखण्ड राज्य एक पर्यावरणीय संवेदनशील राज्य भी है जिसकी अर्थव्यवस्था पर्यटन एवं सम्बन्धित गतिविधियों पर आधारित है। राज्य के पास बहुत कम संसाधन है। मुख्यरूप से पर्यटन एवं लघु कृषि गतिविधियां ही इसकी जीवन रेखाएं है।
  • मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य में नोटों की भारी कमी हो गई है जिससे राज्य के लोग बुरी तरह प्रभावित हो रहे है। यह समय विवाह आदि का भी है जिसके कारण नकदी की अनुपलब्धता के कारण लोगों को विवाह समारोह सम्पन्न करवाने में परेशानी हो रही है।
    मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि भारत सरकार द्वारा सहकारी बैंको को 500 व 1000 के विमुद्रीकृत नोटों को स्वीकार करने की मनाही कर दी गई है जिसके कारण जिन किसानों के पास खरीफ की फसलों के बाद नकदी थी, वह उस नकदी को अपने बैंक खातों में जमा नही करवा पा रहे है।
  • सहकारी बैंकों में नकदी की कमी से इनमें उपभोक्ताओं द्वारा आहरण प्रभावित होने से सहकारी बैंकिंग क्षेत्र चरमरा सकता है।
  • बहुत से गैर बैंकिंग वितीय संस्थानों एव एमएफआई ने हमारे गांवो के कमजोर वर्गो को ऋण प्रदान किए है। इस प्रकार के ऋण तथा ब्याज को नवंबर व दिसम्बर माह के लिए माफ किया जाना चाहिए।
  • नकदी की कमी के कारण लोग नकदी को अपने पास जमा कर रहे है तथा इसे खर्च नहीं करना चाहते जिसके कारण व्यापारिक लेन देन बुरी तरह प्रभावित हो गया है।
  • राज्य को मिलने वाली एक्साइज, स्टेम्प डयूटी, रजिस्ट्रेशन फीस आदि में भी कमी आई है। इसके चलते राज्य की सामान्य कार्य करने की क्षमता विशेषकर पूंजी निवेश एवं विकासात्मक व्यय की क्षमता प्रभावित हो रही है। केंद्र द्वारा राज्य सरकारों के इस भोज को साझा करना चाहिए।

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मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मंगलवार को जीटीसी हैलीपेड पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का पहले गुल्दस्ता दे कर स्वागत किया और फिर एक मँझे हुये राजनीतिक खिलाड़ी की तरह प्रधानमंत्री के हाथों को विभिन्न क्षेत्रों के लिए केन्द्र सरकार से अपेक्षित फंड के बारे में ज्ञापन सौंपा। हांलाकि ख़ुद रावत को भी इस ज्ञापन पर ज़्यादा अमल की उम्मीद नहीं होगी लेकिन शायद ये इसका मक़सद भी नहीं था। मक़सद तो चुनावी माहौल में देवभूमि की राजनीतिक नब्ज़ टटोलने आये प्रधानमंत्री को घेरने का था।