इस वर्ष चारधाम यात्रा ने तमाम रिकॉर्ड तोड़ कर नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। केदारनाथ और यमुनोत्री यात्रा में घोड़ा खच्चरों, हेली टिकट और डंडी कंडी के यात्रा भाड़े से लगभग 211 करोड़ के करीब कारोबार हुआ है। चार धाम यात्रा अपने आख़िरी पड़ाव पर है। गंगोत्री, केदारनाथ व यमुनोत्री के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए, जबकि बदरीधाम के कपाट नवंबर माह में बद होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश की सांस्कृतिक विरासत को पुनर्स्थापित किया है। उनके विजन के अनुरूप केदारनाथ व बदरीनाथ धाम का पुनर्विकास किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम यात्रा के सफल संचालन को लेकर खुशी जताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के कथनानुसार आने वाला दशक उत्तराखंड है, चारधाम यात्रा से नए उत्तराखंड के नए युग की शुरूआत हो चुकी है। सरकार के प्रयासों व कुशल यात्रा प्रबंधन की बदौलत 46 लाख यात्रियों ने इस वर्ष चार धाम यात्रा की। इस बार की चार धाम यात्रा बहुत उत्साहवर्धक रही है। पिछले दो दशक में यह सबसे अधिक आंकड़ा है। चारधाम यात्रा आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को भी साकार करती है। प्रदेश की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला है। चारधाम यात्रा प्रदेश की आर्थिकी की लाइफ लाइन है।
प्रधानमंत्री की ओर से धार्मिक स्थलों पर आने वाले तीर्थ यात्रियों को स्थानीय उत्पादों को ख़रीद पर पांच प्रतिशत खर्च करने के लिए अपील की गई है। आने वाले समय में हम स्थानीय उत्पादों के बिक्री की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। मानस खंड कारीडोर के मास्टर प्लान का काम भी शीघ्र प्रारम्भ किया जाएगा। हमारी सरकार का उद्देश्य समस्त पौराणिक मंदिरों को संवारने का है और उसको पर्यटन से जोड़ना है।
बाबा केदार के 15 लाख 36 हजार तीर्थ यात्रियों ने दर्शन किए –
इस वर्ष केदारनाथ धाम में अकेले 15 लाख 36 हजार तीर्थ यात्रियों ने बाबा केदार के दर्शन किए। केदारनाथ यात्रा स्थानीय व्यवसाइयों के लिहाज़ से भी काफ़ी बेहतर रही। सिर्फ़ यात्रा के टिकट, घोड़ा खच्चरों और हेली और डंडी कंडी के यात्रा भाड़े की बात करें तो लगभग 190 करोड़ के आस-पास यह कारोबार हुआ है। केदारनाथ धाम इस बार घोड़े खच्चर व्यवसाइयों ने क़रीब 1 अरब 9 करोड़ 28 लाख रुपये का रिकॉर्ड कारोबार किया। इससे सरकार को भी 8 करोड़ रुपये से ज्यादा का राजस्व प्राप्त हुआ।
केदार धाम में 5.34 लाख तीर्थयात्रियों ने घोड़े खच्चरों की सवारी –
यात्रा सुगम बनाने को लेकर प्रशासन ने 4302 घोड़ा मालिकों के 8664 घोड़े खच्चर पंजीकृत किए थे। इस सीजन में 5.34 लाख तीर्थयात्रियों ने घोड़े खच्चरों की सवारी कर केदारनाथ धाम तक यात्रा की। डंडी-कंडी वालों ने 86 लाख रुपये की कमाई की और हेली कंपनियों ने 75 करोड़ 40 लाख रुपये का कारोबार किया। इधर, सीतापुर और सोनप्रयाग पार्किंग से लगभग 75 लाख का राजस्व सरकार को प्राप्त हुआ। प्रधानमंत्री ने गौरीकुण्ड-केदारनाथ व गोविंदघाट-हेमकुण्ट साहित्य रोपवे परियोजनाओं का भी शिलान्यास किया है। अब इनके बनने से श्रद्धालुओं की घंटों की यात्रा मिनटों में पूरी होगी और यात्रा सुगम बनेगा।
यमुनोत्री में 21 करोड़ का कारोबार –
इधर, यमुनोत्री में घोड़े खच्चरों वालों का लगभग 21 करोड़ का कारोबार इस साल हुआ है। यमुनोत्री धाम में लगभग 2900 घोड़े खच्चर पंजीकृत हैं। ज़िला पंचायत के अनुसार इस साल यात्रा काल में 21 करोड़ 75 लाख का कारोबार हुआ है। यह आंकड़ा भी रिकॉर्ड तोड़ है।
जीएमवीएन की अनुमानित आय 50 करोड़ –
इसके अलावा चारधाम यात्रा में यात्रा मार्ग के सभी होटल/होमस्टे,लाज और धर्मशालाएं भी पिछले छह माह तक बुक रही। पिछले सालों तक जीएमवीएन जहां आर्थिक नुक़सान झेल रहा था। इस साल अगस्त तक 40 करोड़ की आय कर चुका है।
जीएमवीएन के प्रबंध निदेशक बंशीधर तिवारी ने बताया कि यह आंकड़ा 50 करोड़ के क़रीब जाने का अनुमान है। इसके अलावा चारधाम यात्रा से जुड़े टैक्सी व्यवसायों ने भी पिछले सालों की औसत आय से तीन गुना अधिक का कारोबार किया है।
प्रधानमंत्री का 5 फीसद स्थानीय उत्पादों पर खर्च का आह्वान –
बदरीनाथ धाम स्थित माणा गांव में प्रधानमंत्री ने बीते 21 अक्टूबर को वोकल फॉर लोकल का जिक्र करते हुए देशवासियों से आग्रह किया कि वे जहां भी जाएं एक संकल्प करें कि यात्रा पर जितना भी खर्च करते हैं,उसका कम से कम 5 प्रतिशत वहां के स्थानीय उत्पाद खरीदने पर खर्च करें। इन सारे क्षेत्रों में इतनी रोजी रोटी मिल जाएगी,आप कल्पना भी नही कर सकते। ऐसे में चारधाम यात्रा में स्थानीय उत्पादों को भी बड़ा मार्केट मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।