मुंबई/नई दिल्ली, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने तीन दशक में पहली बार अपने गोल्ड रिजर्व से सोना बेच रहा है। दरअसल देश का बैंकिंग नियामक आरबीआई जालान समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर चुका है, जिसमें जालान समिति ने कहा था कि रिजर्व बैंक को सोने की ट्रेडिंग करनी चाहिए।
रिजर्व बैंक इसके बाद इस साल अगस्त महीने से गोल्ड ट्रेडिंग में एक्टिव हो गया है। जालान समिति की सिफारिशों के अनुसार आरबीआई सोने की ट्रेडिंग में तय सीमा से अधिक की कमाई होने पर उसे केंद्र सरकार से बांट सकती है। गौरतलब है कि अबतक रिजर्व बैंक ने 1.15 अरब डॉलर का सोना बेचा है।
आरबीआई के सप्ताहिक आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि इसने अपने कारोबारी शुरुआत में इस साल जुलाई, 2019 से की और 5.1 अरब डॉलर का सोना खरीदा और करीब 1.15 अरब डॉलर का सोना बेचा है।
प्राप्त आंकड़ों और मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आरबीआई के पास अगस्त तक 1.987 करोड़ औंस सोना था, जो कि 11 अक्टूबर को फॉरेक्स रिजर्व में 26.7 अरब डॉलर के बराबर सोना था। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने जब से जालान समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने का फैसला किया है, तब से यह सोने की ट्रेडिंग एक्टिव तरीके से करने लगा है।
आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में गठित समिति ने सिफारिश में कहा है कि रिजर्व बैंक को सोने में होने वाला वैल्यूएशन गेन नहीं, बल्कि उसकी ट्रेडिंग से हासिल होने वाला प्रॉफिट सरकार के साथ शेयर करना चाहिए। जालान समिति का गठन केंद्र सरकार के राजस्व में कमी को पूरा करने और बैंक की अतिरिक्त आमदनी शेयर करने की बात पर मचे बवाल के बाद गत वर्ष किया गया था।