बुग्यालों में रात्रि विश्राम पर रोक से पहाड़ों पर मायूसी

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2016

(देहरादून) उत्तराखंड की पहचान पूरे विश्व में यहां की प्राकृतिक सुंदरता है। यहां के पर्वत शिखर, नदी, झरने और बुग्याल किसी का भी मन मोह लेती है। यही कारण है उत्तराखंड में आजीविका का सबसे बड़ा साधन पर्यटन है और पर्यटन ही यहां आर्थिकी का पहिया भी माना जाता है। एडवेंचर टूरिज्म के दीवाने उत्तराखंड में विश्व भर से आते हैं यही कारण है कि ट्रैकिंग व्यवसाय दिनों दिन बढ़ता जा रहा है।

हाल ही में नैनीताल हाईकोर्ट ने बुग्यालों पर रात्रि विश्राम पर रोक लगा दी है, इसके साथ ही कोर्ट ने बुग्यालों में स्थाई निर्माणों को भी हटाने के आदेश दिये हैं। जिस पर वन विभाग ने भी अमल करना शुरू कर दिया। हाई कोर्ट के इस आदेश से उत्तराखंड में केटरिंग व्यवसाय को एक बड़ा झटका लगना तय माना जा रहा है क्योंकि ज्यादातर बुग्यालों पर टेंट लगाकर रहने का चलन शुरू से ही उत्तराखंड में रहा है और इस व्यवसाय से परोक्ष रूप से एक लाख से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं। जिनकी रोजी रोटी का साधन कहीं ना कहीं ट्रैकिंग व्यवसाय और बुग्यालों में रात्रि विश्राम को लेकर चलता है।

उत्तराखंड के जाने माने घुमंतू फोटोग्राफर डॉ मनोज रांगड़ का कहना है कि “उत्तराखंड की खूबसूरती को देखने के लिए ट्रैकिंग सबसे बड़ा साधन है और यहां के बुग्याल दिन और रात में अलग-अलग रूप में नजर आते हैं जिसको देखने के लिए बड़ी संख्या में विदेशी उत्तराखंड का रुख करते हैं ऐसे में अगर बुग्यालों पर रात्रि विश्राम ना हो तो निश्चित तौर पर इस व्यवसाय पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा”।

वहीं सालों से ऋषिकेश में एडवेंचर टूरिज्म का बिजनेस करने वाले मनीष डिमरी का कहना है कि “उत्तराखंड का नौजवान पूरी तरह से टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़ा हुआ है क्योंकि दूसरा कोई भी धंधा पहाड़ों पर सफल नहीं हो पाता संख्या में एडवेंचर टूरिज्म से जुड़े व्यवसाय परिवहन व्यवसाय और होटल ढाबे वालों का रोटी का जरिया यहां की टूरिज्म इंडस्ट्री है जिसे कुछ लोगों ने शुरू किया था आज बढ़ते-बढ़ते एक इंडस्ट्री का रुप ले चुकी है कोर्ट के आदेश के बाद निश्चित तौर पर इसे यहां के एडवेंचर टूरिज्म पर असर पड़ेगा”।

हाई कोर्ट के आदेश को देखते हुए मुख्य वन संरक्षक ने नंदा देवी और गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क के साथ साथ दो अभयारण्य और 9 वन प्रभागों के डीएफओ को आदेश जारी किए हैं इन बुग्यालों पर स्थाई निर्माण के साथ-साथ अस्थाई निर्माण को भी हटाया जाएगा।
हाई कोर्ट ने अलबेदनी बागजी बुग्याल संघर्ष समिति चमोली के द्वारा जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।