कोरोना काल और लाॅकडाउन में तमाम लोगों को कटु अनुभवों का सामना करना पड़ा। उन्हीं में से एक हैं बाराकोट निवासी निर्मल चंद्र शर्मा। लॉकडाउन के चलते सेना के एक हवलदार को सेवानिवृत्ति के बाद घर पहुंचने में 68 दिन लग गए।
आसाम राइफल के हवलदार निर्मल शर्मा गत 01 अप्रैल को मेघालय यूनिट से सेवानिवृत्त हुए। पूरे देश में लॉकडाउन होने के कारण उन्हें 22 मई तक मेघालय में ही रुकना पड़ा। हवलदार निर्मल रेलगाड़ी से 24 मई को दिल्ली पहुंचे। वहां से 16000 रुपये में वाहन बुक कर वह बाराकोट पहुंचे और ग्राम प्रधान राजेश सिंह अधिकारी से संपर्क किया। ग्राम प्रधान के आग्रह पर हवलदार शर्मा ने 14 दिन के लिए जीआईसी बाराकोट में एकांतवास में रहने को तैयार हो गए। उनका कहना था कि यदि वह देश की सुरक्षा के लिए 28 साल घर से बाहर अपनी सेवा दे सकते हैं तो, गांव की सुरक्षा के लिए 14 दिन गांव से बाहर बने एकांतवास सेंटर पर क्यों नहीं रह सकते। लड़ीधुरा शैक्षिक एवं सांस्कृतिक मंच बाराकोट के अध्यक्ष नगेंद्र जोशी ने क्षेत्र के प्रति त्याग व समर्पण के लिए हवलदार निर्मल चंद्र शर्मा का दिल से आभार जताया है। उन्होंने अन्य लोगों से भी एकांतवास के नियमों व शारीरिक दूरी का पालन कर समाज को कोरोना जैसे खतरनाक वायरस से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने की अपील की है।