ऋषिकेश के किसान बारिश से हलकान 

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ऋषिकेश
ऋषिकेश में बीती देर रात और शनिवार सुबह हुई बारिश जहां शहरी क्षेत्र के लिए गर्मी से राहत लेकर आई, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में बेमौसम की यह बारिश किसानों के लिए आफत बनकर आई। कोरोना वायरस के कारण एक ओर मजदूर, किसानों से लेकर हर वर्ग त्रस्त है, ऐसे में बारिश ने गांवों में किसानों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
यह बारिश ऐसे समय में आई जब किसानों की छह माह की कठिन परिश्रम की कमाई हुई फसल या तो काटी जा रही है या फिर काटकर मंडाई के लिए रखी गई है। इस बार गेहूं की फसल पर पहले ही अत्यधिक बारिश और ओलावृष्टि से कहर बरपा हुआ है। काफी हदतक पहले से खराब हो चुकी फसल पर बारिश पड़ने से अब और भी खराब होने की अत्यधिक संभावना हो गई है।
ग्रामसभा खदरी खड़क माफ के किसान मोहर सिंह का कहना है कि पहले हुई बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं का दाना या तो झड़ गया है या फिर काला पड़ चुका है। जैव विविधता समिति खदरी के अध्यक्ष पर्यावरणविद् विनोद जुगलान का कहना है कि कुछ किसानों द्वारा मौसम की स्थिति को भांपते हुए काटी गई फसल को धोती-पल्लियों और तिरपाल से ढकने का प्रयास किया गया किन्तु जो किसान शनिवार की शाम तक फसल काटते रहे उनकी फसल जहां-तहां भीग गई है।  जंगल की सीमा से सटे खेतों में फसल को वन्यजीव पहले ही चट कर चुके हैं। ऐसे में जिन किसानों की फसल फिर से भीग गई है उनकी आर्थिकी बुरी तरह प्रभावित होगी। सरकार को चाहिए कि किसानों को प्रति बीघा के हिसाब से आर्थिक मदद कर किसानों पर आ गये इस आर्थिक संकट से बाहर निकाले। वर्ना राज्य में खासकर छोटे किसानों की स्थिति लड़खड़ा सकती है। कोरोना वायरस के कारण किसानों की बिगड़ रही स्थिति को देखते हुए मानवीय आधार पर भट्टों वाला गुमानी वाला में किराए पर ट्रैक्टर और थ्रेशर चलाने वालों ने मड़ाई की दर घटाकर आठ सौ रुपये प्रति घंटा और खदरी खड़क माफ में एक हजार रुपये प्रति घंटा कर दी है।  पिछले वर्ष यह रेट  बारह सौ रुपये प्रति घंटा था।