ऋषिकेश। धर्मनगरी ऋषिकेश में सरकारी, गैरसरकारी एवं सामाजिक संस्थाओं की पहल के बावजूद लोग चिप्स के पैकेट, पानी की बोतल, पॉलिथीन गंगा में बहा देते हैं, जिससे तीर्थ नगरी में सिकुड़ती जा रही गंगा को लेकर जहां श्रद्धालु बेहद चितिंत हैं।
घरों से निकलने वाली पूजन सामग्री भी गंगा में बहाई जा रही है, जो प्रदूषण का प्रमुख कारण बन रही है। इतना ही नहीं गंगा तट पर स्थापित मंदिरों का कचरा भी घाटों पर फेंका जा रहा है। नगर की हृदय स्थली त्रिवेणी घाट का नही बल्कि रामझूला एवं लक्ष्मणझूला क्षेत्र के विभिन्न घाटों पर भी कुछ यही नजारा देखा जा रहा है। त्रिवेणी घाट पर तालाब जेसी स्थिति की वजह से गंगा की स्थिती कुछ ज्यादा बदरंग नजर आती है। घाट पर नजर दोड़ाएं तो पूजन सामग्री सहित फूल ही गंगा मे बिखरे नजर आतें हैं। आवारा जानवर भी दिन भर यहां धमा चौकड़ी करते हैं। अनेकों मर्तबा देखा गया है कि यहां आने वाले तमाम श्रद्धालु पैकेट वाला दूध भगवान करोड़ों देशवासियों की आस्था का प्रतीक माने जाने वाली मां गंगा को अर्पित करते हैं।
गंगा सभा के महामंत्री राहुल शर्मा का कहना है कि गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए समाज के हर तबके को आगे आना होगा। गंगा सभा द्वारा नियमित रूप से यहां आने वाले श्रद्वालुओं को स्वच्छता का संदेश दिया जाता है। घाट की सफाई के लिए भी पूरा सिस्टम बनाया गया है। आवारा पशुओं पर नकेल कसने के लिए निगम प्रशासन को बोला जाएगा। पूर्व पालिकाध्यक्ष स्नेहलता शर्मा का कहना है कि नगर निगम प्रशासन को पॉलिथीन में सामान की बिक्री पर सख्ती से रोक लगानी चाहिए। साथ ही निगरानी तंत्र विकसित करना चाहिए। जो लोग गंदगी फैलाएं, उन पर जुर्माना लगाया जाए। प्रशासन जब तक सख्त कदम नहीं उठाएगा, तब तक लोग गंगा मैली करते रहेंगे।