ऋषिकेश, आरटीआई कार्यकर्ता ने ऋषिकेश नगर निगम क्षेत्र में हुए अतिक्रमणों को उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद भी ना हटाए जाने के बाद उच्च न्यायालय में 22 अगस्त को न्यायालय की अवमानना किए जाने का वाद दायर किया है। न्यायालय ने सभी सात विभागों को तीन सप्ताह के अंदर अवमानना नोटिस पर जवाब किए जाने को कहा है। यह जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गुप्ता ने बुधवार को नगर निगम के सभागार में आयोजित पत्रकार वार्ता में दी।
आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि विगत 21 अप्रैल 2010 को उनके द्वारा एक जनहित याचिका ऋषिकेश में अतिक्रमण, सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे तथा नगर क्षेत्र में हुए अवैध निर्माण को तेज करने के लिए दायर की गई थी, जिस पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने 24 अगस्त 2018 को निर्णय दिया था कि ऋषिकेश में सरकारी भूमि को अतिक्रमण तथा अवैध कब्जों से मुक्त कराया जाए। अवैध रूप से बिना मानचित्र स्वीकृत कराए गए निर्माण तथा ऐसे निर्माण को स्वीकृत मानचित्र से भिन्न हैं, को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया जाए। इस संबंध में उन्होंने विगत 16 अक्टूबर को एक पत्र द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन को सभी पक्षकारों मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन, आयुक्त गढ़वाल मंडल, पौड़ी जिलाधिकारी, देहरादून सार्वजनिक निर्माण विभाग, राष्ट्रीय राजमार्ग सार्वजनिक निर्माण विभाग खंड ऋषिकेश, हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण, हरिद्वार नगर निगम को भी पत्र लिखा गया था। इसके बाद 29 अप्रैल को एक पत्र सभी संबंधित पक्षकारों को उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में लिखा गया। गत 14 मई को तीसरा पत्र भी सभी पक्षकारों को प्रेषित किया गया था।
अनिल गुप्ता ने बताया कि, “उनके द्वारा 4 जनवरी को उपाध्यक्ष हरिद्वार विकास प्राधिकरण सहित नगर निगम वह संबंधित विभागों को लिखा गया, जिसमें नगर में जिन स्थानों पर अतिक्रमण किया गया, उनकी सूची भी दी गई थी। इसके बाद भी अतिक्रमण नहीं हटा, जिसे लेकर उनके द्वारा 22 अगस्त को उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन न करने के क्रम में 24 अगस्त को अवमानना का वाद दर्ज करवाया गया। इस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने सभी पक्षकारों को तीन सप्ताह तक का नोटिस जारी किया है।“
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल ने बताया कि, “चंद्रभागा नदी में लगभग 500 अवैध झोपड़ियां चंद्रभागा नदी एवं गंगा नदी की भूमि पर है , संयुक्त बस अड्डे पर लगभग 200 खोके वन विभाग की भूमि पर बने है। इसी के साथ नगर की सीमा के मध्य आने वाले सरस्वती नाले पर लोगों द्वारा प्रयोग में लाया जा रहा है तथा नाले को पाट दिया गया है।” उन्होंने बताया कि, “सभी विभागों द्वारा अतिक्रमण किए जाने की जानकारी दी गई है, लेकिन वह किन कारणों से नहीं हटा रहे हैं । ” यह चिंता का विषय है उन्होंने कहा कि नगर में लगभग 3,000 से अधिक अतिक्रमण लोगों द्वारा किए गए हैं जिसे जनहित में हटाया जाना अत्यंत आवश्यक है। इसे लेकर उच्च न्यायालय भी काफी गंभीर है। उन्होंने कहा कि यदि फिर भी संबंधित विभाग द्वारा कार्यवाही नहीं की गई तो वह फिर न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।