आसान नही होगा देश को कैशलेस इकाॅनमी बनाना

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उत्तराखंड की राजधानी में जहां नोटबन्दी से परेशान होकर रेहड़ी-ठेले वालों ने इस समस्या का समाधान कैशलेस औऱ डिजिटल माध्यमों में ढूंढ लिया है वहीं यहां की जनता अभी पूरी तरह से कैशलेस होने के लिए तैयार नहीं दिखती। कई शहरों में रेहड़ी व ठेली लगा कर अपने परिवार की गुजर बसर करने वाले लोगो ने पेटीएम, मोबीक्विक आदि डीजिटल पेमैंट प्लेटफाॅर्मों का सहारा लेकर नगदी के अभाव में पटरी से उतर गयी जिंदगी को दोबारा ढर्रे पर लाने की कवायद शुरू कर दी है ।

कई सालों से देहरादुन के चकराता रोड पर चाउमिन व मोमो बेचने का काम कर रहे ऋषभ की दुकानदारी प्रधानमंत्री की नोटबंदी के आदेश के चलते ठप्प ही हो गयी थी । पिछले दस दिनों में ऋषभ की दुकानदारी कुछ यूँ गिरती चली गई कि उसे अपने परिवार का भरण पोषण मुश्किल हो गया। ऐसे में उसने टीवी में कई दिनों से चल रहे एक एड को देखकर देहरादुन में पेटीएम के प्रतिनिधि से सम्पर्क साधा जिसके बाद उसकी दुकान पर ग्राहकों की आवाजाही शुरू हुई । ऋषभ ने पेटीएम से पेमेन्ट लेना क्या शुरू किया उसके साथ साथ ग्राहकों की भी चल निकली ।

लेकिन जहां कुछ दुकानदारों को इस पहल से फायदा हुआ वहीं कुछ लोग अभी तक ग्राहकों की बाट जोह रहें। परेड ग्राउन्ड में चकराता निवासी तुषार की हैंण्डलूम के स्टाॅल में पेटीएम मशीन तो लगी हुई है लेकिन पिछले पाँच दिनों में एक भी कस्टमर ने पेटीएम से पेमेन्ट नहीं करवाया है। इसकी वजह पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि शायद अभी तक लोग इसको अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में उतार नहीं पाएं हैं, उन्होंनो बताया कि “उनकी दुकान में पेटीएम के साथ साथ स्वैप मशीन भी है और लोग पेटीएम से अच्छा विकल्प कार्ड स्वैप कराने को मान रहे है”। उन्होंने कहा “शायद लोग इसके फायदे समझ नहीं पाएं है, इससे पेमेन्ट करने से कैशबैक मिलता है जिसमें उनका फायदा होगा और यह आसान भी है।”इन लोगों की इस कोशिश से इनकी ठप्प पड़ गयी दुकानदारी तो दोबारा चल ही निकली है ऋषभ जैसे कई रेहड़ी पटरी वाले अब नगदी के अभाव में डिजिटल पेमैंट की राह पर चल निकले है , हालांकि अभी बहुत से दुकानदार ग्राहको की बाट जोह रहे लेकिन उन्हें आशा है कि जल्द ही लोग इसके फायदे समझेंगे और इसे इस्तेमाल करेंगें।

नगदी जेब में न होने के बावजूद डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग कर आप अपना रोजमर्रा का काम चला सकते हैं । वहीं कुछ लोग ऐसे भी है जिनको ये डिजीटल तरीका बिल्कुल समझ नहीं आ रहा और डिडिटल प्लेटफार्मों से पेमेन्ट करने से घबरा रहे। नोटबंदी के बाद देश की अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनाना मोदी सरकार का बड़ा और महत्वकांशी सपना है लेकिन जब तक देश के सभी हिस्सों में और खास तौर पर दूर दराज़ के इलाकों में लोगों के बीच डिजिटल इकाॅनमी को लेकर सही जानकारी नही पहुंचेगी तब तक ये सपना केवल सपना भर ही रहेगा।