काशीपुर,अधिनियम 1975 की धारा 3 के तहत मंत्रियों तथा विधायकों का नियुक्त या निर्वाचित होने के तीन माह के अंदर विधानसभा सचिव को संपत्ति दायित्वों का विवरण देना होता है। धारा 4 के अनुसार हर वर्ष 30 जून तक पूर्व वर्ष की संपत्ति प्राप्ति, खर्च व दायित्वों का विवरण देना होता है। आम जनता की सूचना के लिए इसे गजट में प्रकाशित किया जाता है। लेकिन जीरो टालरेंस की सरकार के मुख्या सहित कई कैबिनेट मंत्री और माननीय विधायक एसे है जिन्होने अपनी सम्पत्तियों का ब्योरा आज तक नहीं दिया है, सूचना के अधिकार से हुए इस खुलासे के अनुसार मुख्यमंत्री सहित 50 माननीयों ने संपत्ति का ब्योरा विधानसभा को नहीं दिया है। इनमें पांच मंत्री व नेता प्रतिपक्ष भी शामिल हैं।
आरटीआइ के अनुसार नियमों का उल्लघन करने में सूबे के मुख्यमंत्री सबसे आगे हैं जिन्होने अब तक अपनी सम्पत्ति का ब्योरा नहीं दिया है। साथ ही शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, विद्यालयी शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल तथा महिला कल्याण राज्यमंत्री रेखा आर्य और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश भी ब्योरा ना देने वालों की सूची में हैं।
आरटीआइ कार्यकर्ता व वरिष्ठ अधिवक्ता नदीम उद्दीन को विधानसभा के लोक सूचना अधिकारी/वरिष्ठ शोध एवं संदर्भ अधिकारी मुकेश सिंघल से उक्त जानकारी मिली है। दी गई सूचना के मुताबिक सिर्फ पांच कैबिनेट मंत्रियों सहित 21 विधायकों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया है।
इनमें सात ऐसे विधायक हैं, जिन्होंने नियम के तहत चुनाव के तीन माह के अंदर यानि जून 2017 तक यह जरूरी ब्योरा दे दिया था। इनमें कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, यमुनोत्री विधायक केदार ¨सह रावत, मसूरी विधायक गणेश जोशी, कपकोट विधायक बलवंत ¨सह भौर्याल, धर्मपुर विधायक विनोद चमोली, काशीपुर विधायक हरभजन सिंह चीमा तथा राजपुर रोड विधायक खजानदास शामिल हैं। हालांकि चार माननीयों के संपत्ति विवरण देने की तिथि का जिक्र नहीं है। उनमें कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य, विधायक नैनीताल संजीव आर्य, विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल तथा टिहरी विधायक धन सिंह नेगी हैं। खास बात यह है कि हर साल जून संपत्ति का ब्योरा देने के नियम का पालन सिर्फ धन सिंह नेगी तथा खजानदास ने ही माना।